No Confidence Motion: मोदी सरकार के खिलाफ 'INDIA' ने पेश किया अविश्वास प्रस्ताव, लोकसभा स्पीकर ओम बिरला ने दी मंजूरी
No Confidence Motion: केंद्र की मोदी सरकार के खिलाफ विपक्षी दलों ने लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया, जिसे स्पीकर ओम बिरला ने मंजूर कर लिया है.
No Confidence Motion: कांग्रेस ने सरकार के खिलाफ बुधवार को लोकसभा में अविश्वास प्रस्ताव पेश किया जिस पर चर्चा के लिए लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्वीकृति प्रदान की. सदन में Congress के उप नेता गौरव गोगोई (Gaurav Gogoi) द्वारा पेश इस प्रस्ताव को स्वीकृति मिलने के साथ ही लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला (Om Birla) ने कहा कि वह सभी दलों के नेताओं से बातचीत करके इस पर चर्चा की तिथि के बारे में अवगत कराएंगे.
गौरव गोगोई ने पेश किया प्रस्ताव
लोकसभा में शून्यकाल के दौरान बिरला ने कहा, "मुझे सदन को सूचित करना है कि गौरव गोगोई से नियम 198 के तहत मंत्रिपरिषद में अविश्वास प्रस्ताव का अनुरोध प्राप्त हुआ है...कृपया आप (गोगोई) सदन की अनुमति प्राप्त करें." इसके बाद गोगोई ने कहा, "मैं निम्नलिखित प्रस्ताव के लिए सदन की अनुमति चाहता हूं-यह सभा मंत्रिपरिषद में विश्वास का अभाव प्रकट करती है."
लोकसभा में पास हुआ अविश्वास प्रस्ताव
लोकसभा अध्यक्ष ने इस प्रस्ताव की अनुमति देने का समर्थन करने वाले सदस्यों से अपने स्थान पर खड़े होने के लिए कहा. इस पर कांग्रेस, तृणमूल कांग्रेस, द्रमुक और कई अन्य विपक्षी दलों के सदस्य खड़े हो गए. इसके बाद बिरला ने कहा, " इस प्रस्ताव को अनुमति दी जाती है. मैं सभी दलों के नेताओं से चर्चा करके उचित समय पर इस प्रस्ताव पर चर्चा कराने की तिथि के बारे में आप लोगों को अवगत करा दूंगा."
अविश्वास प्रस्ताव के चर्चा के लिए स्वीकार होने के बाद विपक्ष कुछ सदस्यों ने 'चक दे इंडिया' का नारा लगाया.
मोदी सरकार के खिलाफ दूसरी बार अविश्वास प्रस्ताव
बता दें कि विगत नौ वर्षों में यह दूसरा अवसर होगा जब मोदी सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी. इससे पहले, जुलाई, 2018 में मोदी सरकार के खिलाफ कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्ष अविश्वास प्रस्ताव लाया था. इस अविश्वास प्रस्ताव के समर्थन में सिर्फ 126 वोट पड़े थे, जबकि इसके खिलाफ 325 सांसदों ने मत दिया था.
इस बार भी अविश्वास प्रस्ताव का भविष्य पहले से तय है क्योंकि संख्याबल स्पष्ट रूप से भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में है और निचले सदन में विपक्षी समूह के 150 से कम सदस्य हैं. लेकिन उनकी दलील है कि वे चर्चा के दौरान मणिपुर मुद्दे पर सरकार को घेरते हुए धारणा से जुड़ी लड़ाई में सरकार को मात देने में सफल रहेंगे.
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