सरकार का थिंक टैंक नीति आयोग ने स्टेट हेल्थ रैंकिंग जारी की है. इस रैंकिंग में नीति आयोग ने देश सभी राज्यों को स्वास्थ्य के मामले में रैंकिंग दी है. स्टेट हेल्थ रैंकिंग में केरल टॉप पर बना हुआ है, जबकि जबकि बिहार और उत्तर प्रदेश निचले पयदान और हैं. पिछले साल 2018 की रैंकिंग में भी केरल टॉप पर था. 

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नीति आयोग स्वास्थ्य मंत्रालय के साथ मिलकर 23 अलग-अलग पैमानों पर राज्यों का आंकलन करता है जिसके आधार पर स्टेट हेल्थ रैंकिंग जारी होती है. नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार ने हेल्थ रैंकिंग जारी करते हुए कहा कि छोटे राज्यों ने हेल्थ के मामले में रैंकिंग सुधारी है. बड़े राज्यों में हरियाणा, राजस्थान और झारखंड ने पिछली बार की तुलना में अपनी रैंकिंग में सुधार किया है. जबकि छोटे राज्यों में मिज़ोरम सबसे आगे रहा. त्रिपुरा और मणिपुर ने भी रैंकिंग में सुधार किया है.

नीति आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक बिहार, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और ओडिशा वे राज्य है जो स्वास्थ्य के मामले में बेहद खराब परफॉर्म कर रहे हैं.

बड़े राज्यों में केरल टॉप पर 

नीति आयोग ने हेल्थ इंडेक्स में छोटे तथा बड़े राज्यों में स्वास्थ्य की स्थिति का आकलन किया है. देश के 21 बड़े प्रदेशों की लिस्ट में केरल पहले स्थान पर है. आंध्र प्रदेश दूसरे तथा महाराष्ट्र तीसरे स्थान पर है. बिहार को 20वें तथा उत्तर प्रदेश सबसे नीचे 21वें पायदान पर है. 

छोटे प्रदेशों में 8 राज्यों को शामिल किया गया है. इनमें मिजोरम पहले नंबर पर, मणिपुर दूसरे तथा मेघालय तीसरे स्थान पर है. नागालैंड को सबसे नीचे 8वें पायदान पर जगह मिली है.

दिल्ली में सबसे ज्यादा खर्च

हेल्थ इंडेक्स में एक दिलचस्प आंकलन ये है कि किस राज्य में पब्लिक हेल्थ फेसिलिटी के हिसाब से आउट ऑफ पॉकेट एक्सपेंडिचर होता है. यानी मरीज को अपनी जेब से कितना खर्च करना पड़ता है. सबसे ज्यादा खर्च मणिपुर में आता है लगभग 10 हज़ार से ज्यादा और सबसे कम दादरा और नगर हवेली में 471 रुपए. दिल्ली में तमाम सुविधाओं के बाद एक व्यकित को औसतन 8 हज़ार रुपए से ज्यादा खर्च करने पड़ते हैँ.