New Parliament House Inauguration: सेंट्रल विस्‍टा प्रोजेक्‍ट के तहत बनाया गया नया संसद भवन बनकर  पूरी तरह से तैयार है. 28 मई को देश के प्रधानमंत्री इसका उद्घाटन करेंगे और इसे देश को समर्पित करेंगे. लेकिन तमाम लोगों के मन में सवाल है कि आखिर मौजूदा संसद भवन के रहते हुए नए संसद भवन की जरूरत क्‍यों पड़ी. नए संसद भवन की जरूरत को लेकर सरकार की ओर से तमाम वजहें बताई गई हैं ? आइए आपको बताते हैं इसके बारे में.

समझिए क्‍यों पड़ी नए संसद भवन की जरूरत

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- नए संसद भवन की जरूरत को समझने से पहले आपको पुराने संसद भवन से जुड़ी कुछ बातों को जानना जरूरी है. मौजूदा संसद भवन का निर्माण वर्ष 1921 में शुरू किया गया और वर्ष 1927 में इसे प्रयोग में लाया गया यानी ये संसद लगभग 100 वर्ष पुराना हो चुका है. 

- पिछले कुछ वर्षों में संसदीय काम और उसमें काम करने वाले लोगों और आगंतुकों की संख्या में कई गुना वृद्धि हुई है. इसके अलावा संसद भवन के मूल डिजाइन का कोई अभिलेख या दस्तावेज नहीं है. इसलिए, नए निर्माण और संशोधन अस्थायी रूप से किए गए हैं. उदाहरण के लिए, भवन के बाहरी वृत्तीय भाग पर वर्ष 1956 में निर्मित दो नई मंजिलों से सेंट्रल हॉल का गुंबद छिप गया है और इससे मूल भवन के अग्रभाग का परिदृश्य बदल गया है. 

- इसके अलावा, जाली की खिड़कियों को कवर करने से संसद के दोनों सदनों के कक्ष में प्राकृतिक रोशनी कम हो गई है. ये अधिक दबाव और अतिउपयोग के संकेत दे रहा है. मौजूदा संसद भवन को पूर्ण लोकतंत्र के लिए द्विसदनीय विधायिका को समायोजित करने के लिए कभी भी डिजाइन नहीं किया गया था.

- 1971 की जनगणना के आधार पर किए गए परिसीमन पर आधारित लोकसभा सीटों की संख्या 545 में किसी तरह का कोई बदलाव नहीं किया गया है. जबकि साल 2026 के बाद इसमें काफी वृद्धि होने की संभावना है. ऐसे में नए सांसदों के लिए बैठने की पर्याप्‍त जगह ही नहीं होगी.

- बैठने की व्यवस्था तंग और बोझिल है, दूसरी पंक्ति से परे कोई डेस्क नहीं है. सेंट्रल हॉल में केवल 440 व्यक्तियों के बैठने की क्षमता है. जब संयुक्त सत्र होते हैं तो सीमित सीटों की समस्या और बढ़ जाती है.

आवाजाही के लिए सीमित स्थान होने के कारण यह सुरक्षा के लिए भी एक बड़ा जोखिम है.

- अग्नि से सुरक्षा खासतौर पर चिंता का विषय है क्योंकि इस भवन को आधुनिक अग्नि मानदंडों के अनुसार डिजाइन नहीं किया गया है. इससे आपात स्थिति में, निकासी की व्यवस्था अत्यंत अपर्याप्त और असुरक्षित है.

यदि संसद भवन की क्षमता का विस्तार करना है, इसके बुनियादी ढांचे का आधुनिकीकरण करना है और इसकी भूकंप सुरक्षा सुनिश्चित करनी है तो वर्तमान भवन की मरम्मत करके ऐसा करना संभव नहीं है. इसके लिए एक नए, उद्देश्यपूर्ण संसद भवन का निर्माण करना जरूरी है. 

नए संसद भवन में क्‍या है खास

- नए संसद भवन को तिकोने आकार में डिजाइन किया गया है. इसकी लोकसभा में 888 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्यादा लोगों के बैठने का इंतजाम है. नई राज्‍यसभा में 384 सीटें हैं और विजिटर्स गैलरी में 336 से ज्‍यादा लोगों के बैठने की क्षमता है. दोनों सदनों के जॉइंट सेशन के वक्त लोकसभा में ही 1272 से ज्यादा सांसद साथ बैठ सकते हैं. 

- नए संसद भवन में अहम कामकाज के लिए अलग ऑफिस बनाए गए हैं, जो हाईटेक सुविधाओं से लैस है. 

कैफे, डाइनिंग एरिया, कमेटी मीटिंग के तमाम कमरों में भी हाईटेक इक्विपमेंट लगाए गए हैं. कॉमन रूम्स, महिलाओं के लिए लाउंज और VIP लाउंज की भी व्यवस्था की गई है.

- नई संसद की सबसे बड़ी विशेषता संविधान हॉल है. ये भवन के बीचोंबीच बना हुआ है. इसके ऊपर अशोकस्‍तंभ लगा है. कहा जा रहा है कि इस हॉल में संविधान की कॉपी रखी जाएगी. साथ ही महात्मा गांधी, जवाहरलाल नेहरू, सुभाषचंद्र बोस, देश के प्रधानमंत्रियों की बड़ी तस्वीरें भी लगाई गई हैं. 

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