खाने-पीने का सामान बनाने वाली नेस्ले इंडिया ने स्वीकार कर लिया है कि उसके मशहूर प्रोडेक्ट मैगी में लेड की मात्रा थी. नेस्ले ने सुप्रीम कोर्ट में यह बात स्वीकार की है. बता दें कि 2015 में मैगी में लेड की मात्रा पाए जाने का मामला खूब तूल पकड़ा था. और यह मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया था. हालात ये हो गए थे कि नेस्ले को मैगी की बिक्री पर रोक लगानी पड़ी थी. और बड़ी मात्रा में मैगी को नष्ट करना पड़ा था.

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तब भी से यह मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है. मैगी में लेड की मात्रा को लेकर एनसीडीआरसी ने मामला दर्ज कराया था, उसी मामले में सुनवाई हो रही है. सुनवाई के दौरान नेस्‍ले के वकील ने कहा कि मैगी में तय मात्रा के भीतर लेड की मात्रा थी. और इस मात्रा को मंजूरी मिली हुई है.

नेस्ले के स्वीकार करने के बाद सुप्रीम कोर्ट के जज ने सवाल किया कि आखिर वह ऐसा नूडल क्‍यों खाएं, जिसमें किसी भी स्‍तर पर लेड पाया जाता हो?

उल्लेखनीय है कि भारतीय खाद्य सुरक्षा एवं मानक प्राधिकरण (एफएसएसएआई) ने जून, 2015 में निश्चित सीमा से अधिक लेड (सीसा) पाये जाने के कारण नेस्ले के लोकप्रिय नूडल ब्रांड मैगी को प्रतिबंधित कर दिया था। इसके बाद कंपनी को बाजार से अपने उत्पाद वापस लेने पड़े थे और इसके बाद सरकार ने एनसीडीआरसी का रुख किया था.

नेस्ले ने बयान जारी कर कहा है, “नेस्ले इंडिया मैगी नूडल मामले में उच्चतम न्यायालय के (बृहस्पतिवार के) आदेश का स्वागत करती है.” 

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि केंद्रीय खाद्य प्रौद्योगिकी अनुसंधान संस्थान (सीएफटीआरआई), मैसुरु की रपट आगे की कार्यवाही का आधार बनेगी. इस संस्थान में मैगी नूडल के नमूनों की जांच की गयी थी.

नेस्ले के मुताबिक सीएफटीआरआई का ‘विश्लेषण दिखाता है कि मैगी नूडल के नमूनों में सीसे और अन्य सामग्री तय मानकों के अनुरुप ही थे.’  हालांकि नेस्ले इंडिया ने कहा कि आदेश प्राप्त होने के बाद ही अधिक जानकारी मिल सकेगी.

शीर्ष अदालत ने नेस्ले द्वारा एनसीडीआरसी के अंतरिम आदेश को चुनौती दिये जाने के बाद आयोग की कार्यवाही पर स्थगन लगा दिया था.