उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने मंगलवार को कहा कि वह देश में विभिन्न उपभोक्ता अदालतों में लंबित मामलों को कम करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) के उपयोग पर काम कर रही है. मंत्रालय ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय उपभोक्ता विवाद निवारण आयोग (NCDRC) ने अगस्त में 854 मामलों का सफलतापूर्वक समाधान किया है, जो चालू साल में सबसे ऊंची निपटान दर है. बयान में कहा गया है कि यह NCDRC द्वारा उठाए गए कदमों, सुव्यवस्थित प्रक्रियाओं और ई-दाखिल जैसी उन्नत प्रौद्योगिकी के कारण संभव हुआ, जिससे मामलों को पहले से कहीं अधिक तेजी से निपटारा करने में मदद मिली. 

तेजी से निपटाए जा रहे हैं पेंडिंग मामले

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मंत्रालय ने कहा, "मामलों के निपटान की इसी गति को बनाए रखने के लिए विभाग ने उपभोक्ता आयोगों में ई-दाखिल के माध्यम से मामले दायर करना अनिवार्य कर दिया है और जल्द ही ई-दाखिल पर VC (वीडियो कॉन्फ्रेंस) की सुविधा शुरू करने जा रहा है." 

इसमें कहा गया है कि जैसे-जैसे कृत्रिम मेधा का दायरा तेजी से बढ़ रहा है, मंत्रालय "राष्ट्रीय, राज्य और जिला उपभोक्ता आयोगों में लंबित मामलों को कम करने के लिए एआई सुविधाओं का उपयोग करने पर भी काम कर रहा है." 

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस का किया जा रहा है इस्तेमाल

बयान में कहा गया है कि उपभोक्ता आयोगों में दायर मामले का AI के माध्यम से विश्लेषण किया जाएगा और इसका सारांश तैयार किया जाएगा. मामले के निपटान के लिए एआई के माध्यम से कई और कदम भी उठाए जाएंगे. मंत्रालय के मुताबिक, NCDRC ने वर्ष 2023 में आयोग में उपभोक्ता मामलों के निपटान में काफी सुधार किया है. 

अगस्त में निपटाए 854 मामले

NCDRC और उपभोक्ता मामलों के विभाग ने अगस्त में 854 उपभोक्ता मामलों को सफलतापूर्वक निपटान किया, जबकि इसी अवधि के दौरान दाखिल किये गये मामलों की संख्या 455 थी. मंत्रालय ने कहा कि यह उपलब्धि उपभोक्ता अधिकारों की सुरक्षा और शिकायतों का त्वरित निवारण सुनिश्चित करने के लिए एनसीडीआरसी की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाती है. यहां तक कि मंत्रालय द्वारा उपभोक्ता मामलों की नियमित निगरानी और गुवाहाटी और चंडीगढ़ में एक दिन की क्षेत्रीय कार्यशालाओं के आयोजन से प्रक्रिया में तेजी लाने में मदद मिली. 

मंत्रालय ने उपभोक्ता आयोगों में लंबित मामलों को कम करने के लिए बीमा और रियल एस्टेट पर क्षेत्र-विशिष्ट विचार-मंथन सत्र भी आयोजित किए. बयान में कहा गया है कि झारखंड, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, राजस्थान, बिहार, महाराष्ट्र और केरल जैसे विभिन्न राज्यों में राज्य-विशिष्ट बैठकें भी आयोजित की गईं.

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