NSE Co-Location Case: पूर्व चेयरमैन रवि नारायण को ईडी ने किया गिरफ्तार, यहां जानिए क्या है वजह
NSE Co-Location Case: ईडी ने को लोकेशन और फोन टैपिंग मामले की जांच करते हुए रवि नारायण को भी गिरफ्तार कर लिया है, इससे पहले एनएसई की प्रमुख चित्रा रामकृष्ण पर कार्रवाई हुई थी.
NSE Co-Location Case: नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (NSE) के को-लोकेशन और फोन टैपिंग मामले में ईडी यानी कि प्रवर्तन निदेशालय ने बड़ी कार्रवाई कर रवि नारायण को गिरफ्तार कर लिया है. बता दें कि इससे पहले प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने एनएसई की अन्य पूर्व एमडी और सीईओ चित्रा रामकृष्ण को कथित फोन टैपिंग मामले में गिरफ्तार किया था. रवि नारायण पर 2009 से 2017 से एनएसई के कर्मचारियों का गैरकानूनी तरीके से फोन टैप करने का आरोप है. प्रवर्तन निदेशायल ने एनएसई के प्रमुख चित्रा रामकृष्ण और मुंबई के पूर्व पुलिस कमिश्नर संजय पांडे के खिलाफ 14 जुलाई को कार्रवाई कर मामला दर्ज किया था. इससे पहले सीबीआई इन तीनों पर मामला दर्ज कर चुकी थी.
हिमालयन योगी के साथ साझा होती थी जानकारी
बता दें कि NSE की प्रमुख चित्रा रामकृष्ण ने ये कहकर सनसनी फैला दी थी कि वो एनएसई के मामलों में एक हिमालयन योगी के साथ जानकारी साझा करती रही थीं. हालांकि बाद में उस योगी की पहचान उनक पूर्व सहयोगी के तौर पर ही हुई थी. इस शख्स को चित्रा रामकृष्ण ने मोटे वेतन के तौर पर रखा था. बता दें कि सेबी ने चित्रा रामकृष्ण पर गोपनीय जानकारियों साझा करने का आरोप लगाया था.
सेबी ने लगाया करोड़ों का जुर्माना
आपको बता दें कि जून महीने में मार्केट रेग्युलेटर सेबी ने को-लोकेशन मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए एनएसई की प्रमुख चित्रा रामकृष्ण समेत 16 अन्य लोगों पर कुल 44 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था. सेबी ने एनएसई पर 7 करोड़ रुपये और चित्रा रामकृष्ण पर 5 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था.
क्या है मामला?
सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया (SEBI) ने 11 फरवरी को रामकृष्ण और अन्य पर सुब्रमण्यम को मुख्य रणनीतिक सलाहकार नियुक्त करने सहित कई अनियमितताओं का आरोप लगाया था, जिसके बाद केंद्रीय एजेंसियों ने जांच तेज कर दी. रामकृष्ण ने सुब्रमण्यम को अपना सलाहकार नियुक्त किया था, जिन्हें बाद में सालाना 4.21 करोड़ रुपये के मोटे वेतन पर ग्रुप ऑपरेटिंग ऑफिसर (जीओओ) के रूप में प्रमोट किया गया.
एनएसई की तरफ से दी जाने वाली को-लोकेशन सुविधा के तहत ब्रोकर स्टॉक एक्सचेंज परिसर के भीतर अपने सर्वर रख सकते हैं जिससे उन्हें बाजार में होने वाले लेनदेन तक तुरंत पहुंच मिल पाए. सीबीआई का आरोप है कि कुछ ब्रोकरों ने एनएसई के कुछ भीतरी लोगों के साथ मिलकर को-लोकेशन सिस्टम का दुरुपयोग किया और इस तरह अप्रत्याशित लाभ अर्जित किए.