नौकरी, शिक्षा आदि के कारण हर साल हजारों लोग दूसरे देशों में पलायन करते हैं. लेकिन,पिछले तीन साल में भारतीय नागरिकता छोड़कर दूसरे देश की नागरिकता लेने वालों की संख्या में काफी ज्यादा इजाफा हुआ. साल 2023 के पहले छह महीने में ही अभी तक 87 हजार से भारतीय नागरिक भारत की नागरिकता को छोड़ चुके हैं. संसद के मॉनसून सत्र में विदेश मंत्रालय ने एक लिखित जवाब में इसका खुलासा किया है.  

2020 से हुआ दो गुना इजाफा

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सांसद कार्ती पी.चिदंबरम ने विदेश मंत्री से सवाल पूछा विगत तीन वर्षों और वर्तमान वर्ष के दौरान कितने भारतीय नागरिकों ने अपनी नागरिकता छोड़ दी है. इस अवधि के दौरान अपनी भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले व्यक्तियों द्वारा किन-किन देशों की नागरिकता अपनाई गई है. विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने लिखित जवाब में बताया, 'उपलब्ध जानकारी के अनुसार भारतीय नागरिकता छोड़ने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या 85,256 (2020); 1,63,370 (2021); 2,25,620 (2022) और जून 2023 तक 87,026 है.

2011 से 2019 तक इतने भारतीयों ने छोड़ी नागरिकता

विदेश मंत्री एस.जयशंकर के मुताबिक 2011 में 1,22,819, 2012 में 1,20,923, 2013 में 1,31,405, 2014 में 1,29,328, 2015 में  1,31,489, 2016 में 1,41,603, 2017 में  1,33,049,  2018 में 1,34,561, 2019 में  1,44,017 भारतीयों ने भारत की नागरिकता छोड़ दी है. विदेश मंत्री ने कहा, 'पिछले दो दशकों में वैश्विक कार्यस्थलों पर कार्य करने के लिए जाने वाले भारतीय नागरिकों की संख्या काफी अधिक हो गई है. उनमें से कई ने व्यक्तिगत सुविधाओं के कारणों से विदेशी नागरिकता लेने का विकल्प चुना है.

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विदेश मंत्री ने बताया कि मेक इन इंडिया' पर केंद्रित कई पहल शुरू की हैं, जो घरेलू स्तर पर उनकी प्रतिभा का उपयोग करेंगी. साथ ही, समकालीन ज्ञान अर्थव्यवस्था का पूरा लाभ उठाने के लिए हमने कौशल और स्टार्टअप को भी बढ़ावा दिया है. यह स्वीकार करते हुए कि विदेशों में भारतीय समुदाय राष्ट्र के लिए एक संपत्ति है, सरकार प्रवासी भारतीयों के साथ अपने संबंधों में परिवर्तनकारी बदलाव लायी है.