Monsoon Update: 6 फीसदी कम बारिश के साथ हुई मानसून की विदाई, इन राज्यों में सबसे ज्यादा बरसे बादल
भारतीय मौसम विभाग ने शनिवार को कहा कि इस साल मानसून सीजन (जून से सितंबर) के दौरान देश में बारिश दीर्घावधि औसत से छह प्रतिशत कम रही.
भारतीय मौसम विभाग ने ये जानकारी देता हुए कहा है कि इस साल मानसून सीजन के दौरान देश में कम बारिश हुई है जिसमें नॉर्थ इस्ट और साउथ इंडिया सबसे ज्यादा प्रभावित क्षेत्र रहे. बता दें कि इस साल बारिश औसतन से छह प्रतिशत कम रही. इसमें कहा गया है कि उत्तर-पश्चिम, सेंट्रल इंडिय , साउथ पेनिनसुला और नॉर्थ ईस्ट भारत में मौसमी बारिश का औसत 101 प्रतिशत, 100 प्रतिशत, 92 प्रतिशत और 82 प्रतिशत रहा. बता दें कि लॉन्ग पीरियड एवरेज (LPA) के 994 प्रतिशत से 106 प्रतिशत की बारिश को सामान्य के रूप में क्लासीफाई किया जाता है.
ऐसा रहा 2023 का मानसून
भले ही मानसून के मौसम के दौरान कुल बारिश सामान्य रही हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हर जगह इसका डिस्ट्रीब्यूशन भी एक समान रहा हो. भारत का मानसून नेचूरल फैक्टर्स के साथ बहलता रहता है. आईएमडी के महानिदेशक मृत्युंजय महापात्र के अनुसार, 2023 का मानसून दीर्घकालीन औसत की तुलना में कुल 94.4 प्रतिशत वर्षा के साथ कमप्लीट हुआ, जिसे अल नीनो के प्रभाव का मुकाबला करने वाले अनुकूल कारकों की उपस्थिति के कारण "सामान्य" के रूप में वर्गीकृत किया गया है.
यहां हुई कम बारिश
महापात्र ने एक संवाददाता सम्मेलन में कहना है कि कुल 36 मौसम उप क्षेत्रों में से तीन (देश के कुल क्षेत्रफल का नौ प्रतिशत) में अधिक बारिश हुई है. बाकी 26 उप क्षेत्रों में (कुल क्षेत्रफल का 73 प्रतिशत) सामान्य बारिश हुई और वहीं सात उप क्षेत्रों में (कुल क्षेत्रफल का 18 प्रतिशत) कम बारिश हुई. बता दें कि जिन सात मौसम उपविभागों में कम वर्षा हुई, वो हैं नागालैंड, मणिपुर, मिजोरम और त्रिपुरा (एनएमएमटी) क्षेत्र, पश्चिम बंगाल का गंगा का मैदान, झारखंड, बिहार, पूर्वी उत्तर प्रदेश, दक्षिण आंतरिक कर्नाटक और केरल.
अल नीनो के कारण कम हुई बारिश
आईएमडी प्रमुख ने बताया कि पूरे देश में मंथली रेनफॉल जून में एलपीए के 91 प्रतिशत, जुलाई में 113 प्रतिशत, अगस्त में एलपीए के 64 प्रतिशत और सितंबर में औसत के 113 प्रतिशत रही. वहीं आईएमडी के अनुसार अल नीनो प्रभाव के कारण इस साल बारिश औसत से कम हुई है क्योंकि अल नीनो की स्थिति आमतौर पर देश में कमजोर मानसूनी हवाओं और ड्राय वैदर पैटर्न से जुड़ी होती है.
अब तक के रिकॉर्ड में (यानी वर्ष 1901 से) अगस्त 2023 सबसे ड्राय वैदर के रूप में और देश में अब तक का सबसे गर्म महीना दर्ज किया गया.
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