मॉनसून पर मौसम विभाग vs स्काइमेट: जानिए पड़ेगा सूखा या होगी झमाझम बारिश
भीषण गर्मी का सामना कर रहे पूरे उत्तर भारत के लिए मॉनसून उम्मीद की किरण है. गर्मी से व्याकुल हो चुके लोगों के लिए बारिश की बूंदें किसी वरदान की तरह होती हैं, लेकिन क्या इस बार बारिश कम होगी?
भीषण गर्मी का सामना कर रहे पूरे उत्तर भारत के लिए मॉनसून (Monsoon) उम्मीद की किरण है. गर्मी से व्याकुल हो चुके लोगों के लिए बारिश की बूंदें किसी वरदान की तरह होती हैं, लेकिन क्या इस बार बारिश कम होगी? क्या हम सूखा जैसी स्थिति का सामना करने जा रहे हैं? या इस बार झमाझम बारिश होगी. इस बारे में हमारे पास दो पूर्वानुमान हैं. एक है भारत सरकार के मौसम विभाग (IMD) का पूर्वानुमान और दूसरा है प्राइवेट एजेंसी स्काइमेट वेदर (skymetweather) का पूर्वानुमान. आइए इन दोनों पूर्वानुमानों की तुलना करें और देखें कि दोनों में क्या समानताएं हैं और कितना अंतर है.
स्काइमेट और IMD दोनों ने क्षेत्रीय और महीने के अनुसार मॉनसून 2019 का पूर्वानुमान जारी किया है. पूरे मॉनसून सीजन यानी जून-सितंबर के लिए स्काइमेट ने इस बार सामान्य के मुकाबले का 93% बारिश का अनुमान जताया है. इसमें 5% का अंतर हो सकता है. इस तरह स्काइमेट का अनुमान है कि इस बार सामान्य से कम बारिश होगी. आमतौर पर 96% तक बारिश को सामान्य माना जाता है.
भारतीय मौसम विभाग ने जून और अगस्त के लिए अपने पूर्वानुमान जारी नहीं किए हैं, हालांकि उसका कहना है कि सामान्य औसत बारिश (normal average rainfall) के मुकाबले जुलाई में 95% और अगस्त में 99% बारिश हो सकती है. इस तरह IMD ने इस साल सामान्य बारिश की भविष्यवाणी की है.
दोनों एजेंसियों के पूर्वानुमान में दूसरा बड़ा अंतर क्षेत्रवार बारिश को लेकर है. दोनों एजेंसियां पूर्वी और पूर्वोत्तर भारत, उत्तर पश्चिम भारत और दक्षिण भारत में बारिश के अनुमानों पर लगभग सहमत हैं. लेकिन मध्य भारत के अनुमान बहुत अलग हैं. स्काइमेट का अनुमान है कि मध्य भारत में 91% बारिश होगी, जबकि मौसम विभाग का कहना है कि 100% बारिश होगी.
स्काइमेट और भारत मौसम विज्ञान विभाग दोनों मौसम एजेंसियां इस बात पर सहमत हैं कि मॉनसून 2019 अल-नीनो से प्रभावित हो सकता है. दोनों का मानना है कि मॉनसून 2019 के दौरान अल-नीनो हावी हो सकती है. मौसम विभाग का मानना है कि मॉनसून वर्षा के दो महीने बीतने के बाद अल-नीनो सामान्य हो जाएगा. दूसरी ओर स्काइमेट के मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि कमजोर अल-नीनो भी मॉनसून को उतना ही प्रभवित कर सकता है जितना कि मध्यम या मजबूत अल-नीनो का असर होगा.