आधा मानसून खत्म आखिर कब बरसेंगे बादल! एक बूंद बारिश को तरस रहे हैं बिहार-झारखंड के लोग
Monsoon 2023: मानसून आधा खत्म हो ही गया है. जहां एक तरफ कई राज्यों में जोरदार बारिश हुई. तो वहीं दूसरी तरफ बिहार और झारखंड समेत पूर्वी भारत के कई राज्यों को अभी भी बारिश का इंतजार है.
Monsoon 2023: आधा मानसून सीजन खत्म हो गया है, लेकिन बिहार और झारखंड समेत पूर्वी भारत के कई राज्यों को अभी भी बारिश का इंतजार है. खासतौर से धान की खेती वाले बिहार और झारखंड के कमोवेश सभी जिलों में सूखे जैसे हालात हैं. इन दोनों राज्यों में औसत का आधा ही बारिश हो सकी है.
औसत की आधी बारिश
बिहार में इस साल 1 जून से 31 जुलाई तक सामान्य से 48% कम बारिश हुई है. जहां 36 जिलों में 30-70% तक बारिश की कमी है. इनमें से 8 जिलों की स्थिति बेहद दयनीय है, जिनमें पूर्वी चंपारण, सहरसा, सारण, शिवहर और सीतामढ़ी में सामान्य से 70-85% तक कम बारिश हुई है. वहीं बेगुसराय, मुजफ्फरपुर और नालंदा में बारिश की कमी का स्तर 60-65% तक है.
झारखंड में इस दौरान सामान्य से 46% कम बारिश हुई है, जहां कुल 24 में से 23 जिले ऐसे हैं जहां जरुरत से कम बारिश हुई है. इनमें से 5 जिलों की हालत बेहद खराब है। इन जिलों के नाम हैं लोहरदगा, जामतारा, गिरडीह, धनबाद और चतरा, जहां सामान्य से 60-70% तक कम बारिश हुई है.
पश्चिम बंगाल में भी स्थिति बिहार और झारखंड से अलग नहीं है, यहां पुरुलिया, पश्चिम मेदिनीपुर, मुर्शिदाबाद, हुगली और कोलकाता में 50-60% तक बारिश की कमी देखी जा रही है. देश के कुल चावल उत्पादन में पश्चिम बंगाल की करीब 14% हिस्सेदारी है. वहीं चावल उत्पादन में करीब 13% हिस्सा वाले उत्तर प्रदेश में भी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है. प्रदेश के 8 जिलों में होने वाली बारिश में अबतक 60-70% तक की कमी देखी गई है. इन जिलों में चंदौली, देवरिया, कौशांबी, कुशीनगर, मऊ, मिर्जापुर, संत कबीरनगर और पीलीभीत शामिल हैं. हालांकि 75 में से कुल करीब 40 जिले हैं जहां बारिश सामान्य से कम है. ज्यादातर पूर्वी उत्तर प्रदेश के जिलों में बारिश की कमी देखी जा रही है, पश्चिमी उत्तर प्रदेश की स्थिति तुलनात्मक रुप से बेहतर है.
मुसीबत में धान के किसान
देश में करीब 40% धान की खेती वाले इलाकों में इस साल बारिश कम है. बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल को खरीफ की खेती के लिहाज से महत्वपूर्ण माना जाता है. इन इलाकों में अधिकतर धान की खेती होती है. लेकिन बारिश की कमी से इन इलाकों के किसानों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है. इनमें से कई इलाकों में तो किसान धान की लगाई हुई फसल को जोतकर मजबूरी में मक्का और बाजरे जैसे मोटे अनाजों की खेती पर शिफ्ट हो गए हैं.
मौसम विभाग का क्या कहना है?
भारत मौसम विज्ञान विभाग (IMD) ने इस साल जून से सितंबर के दौरान सामान्य बारिश होने का अनुमान जारी किया था. इन 4 महीनों में से 2 महीने खत्म हो गए हैं. जून में मानसून का आगमन देर से हुआ था, हालांकि जुलाई में सामान्य से 13% ज्यादा बारिश होने की वजह से इन 2 महीनों में सामान्य से कुल 5% ज्यादा बारिश हुई है.
वैसे भारत मौसम विज्ञान विभाग ने अगस्त-सितंबर के दौरान भी सामान्य बारिश (औसत का 94-106%) होने का अनुमान जारी किया है. लेकिन साथ में यह भी कहा है कि पूर्व, मध्य और उत्तर-पश्चिम भारत में इस दौरान बारिश का स्तर सामान्य से कम रह सकता है. यही नहीं पूरे अगस्त के दौरान सामान्य से कम बारिश की आशंका जताई है. हालांकि पूवी मध्य भारत, पूर्व और उत्तर-पूर्व भारत के कुछ हिस्सों में अच्छी बारिश दर्ज होने का अनुमान है. लेकिन दक्षिण के अधिकांश हिस्सों, उत्तर-पश्चिम और मध्य भारत के पश्चिमी हिस्सों में सामान्य से कम बारिश होने का अनुमान है. सितंबर में कितनी बारिश होगी, इसके बारे में मौसम विभाग इस महीने के अंत में अनुमान जारी करेगा.
सूखे पर क्या कर रही है सरकार?
प्रदेश को सूखा घोषित करने के लिए सर्वे से लेकर घोषणा तक का काम राज्य सरकार का है. यही नहीं सूखे से निपटने के लिए राहत योजना की घोषणा भी राज्य सरकार के ही जिम्मे है. जरुरत पड़ने पर आवश्यकतानुसार केंद्र सरकार राज्यों को आर्थिक मदद कर सकती है.
फिलहाल बिहार सरकार डीजल पंपिंग सेट से सिंचाई के लिए डीजल पर `75/लीटर का अनुदान दे रही है. राज्य सरकार का दावा है कि इस मद में `100 करोड़ की व्यवस्था की गई है. इसके लिए राज्य भर में करीब 13,500 किसानों का आवेदन आ चुका है. हालांकि अभी राज्य में सूखा घोषित नहीं किया गया है.
वहीं झारखंड में यह लगातार दूसरा साल है जब प्रदेश सूखे का सामना कर रहा है. पिछले साल राज्य के 22 जिलों के 226 प्रखंडों को सूखाग्रस्त घोषित किया गया था. वैसे पिछले 5 सालों का रिकॉर्ड है, झारखंड में मानसून एक साल भी पूरी तरह से नहीं बरस सका है. इस वजह से यहां धान की खेती पिछले साल से भी करीब 40,000 हेक्टेयर पिछड़ गई है. प्रदेश में खरीफ फसलों की मुश्किल से आधी बुआई हो सकी है.
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