भारतीय खेती को मॉनसून का जुआ कहा जाता है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या इस साल भारत मानसून का जुआ हार जाएगा? इस सवाल की आशंका इसलिए जताई जा रही है क्योंकि 2019 में अबतक मॉनसून कुछ ज्यादा ही निष्ठुर रहा है. मॉनसून सीजन के लगभग डेढ़ महीने बीतने को हैं और अब तक मॉनसून सुस्त है. इससे सूखे की मार झेलने वाले इलाकों में संकट विकराल रूप लेता जा रहा है और जहां बारिश हो रही है, वहां बाढ़ की आशंका बढ़ने लगी है.  प्राइवेट मौसम एजेंसी स्काईमेट के मुताबिक 'कम मॉनसून का सबसे बुरा असर खेती पर पड़ा है. अब तक खरीफ फसलों की खेती सामान्य से बहुत कम हुई है. कमजोर मॉनसून का असर धान और सोयाबीन सहित तमाम फसलों की बुआई के अलावा इस साल उत्पादकता पर भी पड़ने वाला है.' मराठवाडा में 34% कम और विदर्भ में 20 कम वर्षा हुई है. मराठवाड़ा में किसानों का सूखे से संघर्ष जारी है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

अब तक भारत का मध्य इलाका और उसमें भी मध्य प्रदेश ही एक मात्र ऐसा राज्य रहा है, जहां सामान्य से ऊपर बारिश दर्ज की गई है. बारिश का वितरण यहां भी ठीक नहीं हुआ है. छत्तीसगढ़ में सामान्य से 4% कम बारिश हुई है. गुजरात में बारिश की कमी अब 8% रह गई है, लेकिन कच्छ क्षेत्र में अभी भी लोग बारिश के लिए तरस रहे हैं. यहाँ 51% कम बारिश हुई है. स्काईमेट ने कहा है कि मॉनसून 2019 से अल नीनो का साया अब तक हटा नहीं है. हाल के दिनों में अल नीनो में फिर से अचानक मजबूती देखने को मिली. 

स्काईमेट के मुताबिक, 'राजस्थान में बारिश बहुत कम रही है. दिल्ली में 1 जून से 10 जुलाई तक जितनी बारिश होती है उसकी महज 12% वर्षा हुई है. बारिश में 88% कमी स्थिति की भयावहता को उजागर करते हैं.' दूसरी ओर उत्तर प्रदेश के दक्षिणी जिलों यानि बुंदेलखंड क्षेत्र में मॉनसून अभी भी सुस्त रहा है. किसान से लेकर आम इंसान और जानवर तक कम वर्षा के कारण पानी की कमी से मॉनसून सीजन में भी संघर्ष कर रहे हैं.

बिहार में पिछले कई दिनों से लगातार बारिश हो रही है और आने वाले कुछ दिनों तक मूसलाधार वर्षा जारी रहेगी. जिससे यहां सूखे का संकट कुछ कम होगा. लेकिन किशनगंज, सुपौल, अररिया, पुर्णिया, भागलपुर सहित उत्तरी और पूर्वी बिहार में बाढ़ की आफ़त है. लेकिन, झारखंड में अभी भी कम बारिश रिकॉर्ड हुई है. पश्चिम बंगाल सहित पूर्वोत्तर राज्यों खासकर मणिपुर, मिजोरम, और त्रिपुरा में भी कम वर्षा हुई है. दक्षिण भारत में भी संकट कम नहीं हो रहा है. यहां अब तक सामान्य से 28% कम वर्षा हुई है.

आगामी सप्ताह कैसी रहेगी मॉनसून की चाल

अगले एक सप्ताह तक हालात बदलते दिखाई भी नहीं दे रहे हैं, क्योंकि मॉनसून का अच्छा प्रदर्शन महज देश के पूर्वोत्तर क्षेत्रों और हिमालय के तराई भागों में देखने को मिलेगा. इस दौरान पूर्वी भारत के बाकी इलाकों, मध्य और दक्षिणी भागों में बहुत कम वर्षा की उम्मीद है. 15 जुलाई के बाद जब ट्रफ दक्षिण में आएगी तब दिल्ली, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, बुंदेलखंड सहित उत्तर प्रदेश के दक्षिणी भागों और मध्य भारत के भागों में बारिश फिर शुरू होगी.