केंद्र की मोदी सरकार ने दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों को लेकर एक बड़ा फैसला किया है. कैबिनेट की बैठक में दिल्ली में अनधिकृत कॉलोनियों के निवासियों को संपत्ति के स्वामित्व या स्थानांतरण अधिकार देने के लिए प्रक्रिया की सिफारिश करने के लिए एक समिति गठित करने के प्रस्ताव को मंजूरी दी गई है. दिल्ली की अनाधिकृत कॉलोनियों को नियमित करने की मांग लंबे समय से उठ रही थी. अनाधिकृत कॉलोनी होने के कारण यहां संपत्तियों की रजिस्ट्री और भवन निर्माण में बैंक लोन जैसी दिक्कतों का सामना लोगों को करना पड़ता है. 

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केंद्र के इस फैसले से अनाधिकृत कॉलोनियों में रहने वाले लोग अब अपनी संपत्ति की रजिस्ट्री करा सकेंगे और उसे किसी अन्य के नाम भी ट्रांसफर करा सकेंगे. सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि मकान आदि बनाते समय लोग बैंक से लोन भी हासिल कर सकेंगे. 

एलजी की अध्यक्षता में बनेगी कमेटी

दिल्ली की अनधिकृत कॉलोनियां के निवासियों को मालिकाना हक कैसे दिया जाए, इस बात का अध्ययन करने के लिए उप राज्यपाल की अध्यक्षता में एक कमेटी गठित की गई है. यह कमेटी विचार करेगी की जहां लोगों की रिहायश हो गई है वहां लोगों को जमीन का मालिकाना कैसे दिया जाए.

#Cabinet approves proposal to constitute a committee to recommend process for conferring ownership or transfer rights to residents of unauthorized colonies in Delhi.#cabinetdecisions @PMOIndia @HardeepSPuri

1797 अनाधिकृत कॉलोनी

बता दें कि दिल्ली में 1797 अनाधिकृत कॉलोनी हैं. दिल्ली का 40 फीसदी आबादी इन कॉलोनियों में रहती है. जानकार बताते हैं कि 1982 में दिल्ली में एशियन खेलों के दौरान बड़ी मात्रा में निर्माण कार्य हुए थे. इन कामों के लिए बड़ी संख्या में अन्य प्रदेशों के लोग दिल्ली आए और फिर ये लोग यहीं बस कर रह गए. तभी से दिल्ली में अनाधिकृत कॉलोनी बनने का प्रचलन शुरू हुआ था.