मोदी सरकार ने नए साल से पहले देश को सुपर कम्प्यूटर के रूप में एक बड़ा तोहफा दिया है. भारत के सेंटर फॉर डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कम्प्यूटिंग (C-DAC) और फ्रांस की आईटी सेवा कंपनी एटॉस (Atos) ने शनिवार को एक तीन वर्षीय औद्योगिक समझौता किया. ये समझौता देश में उच्च क्षमता वाले सुपर कम्प्यूटर (Supercomputer) बुलसेकुआना (BullSequana) के डिजाइन, निर्माण और इंस्टॉलेशन के लिए किया गया है. इस मौके पर भारत के इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इनफॉरमेशन टेक्नालॉजी मंत्रालय के सचिव अजय प्रकाश और फ्रांस के विदेश मंत्री जीन यवेस ले ड्रियन मौजूद थे. इस समझौते की कुल राशि 4500 करोड़ रुपये है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

ग्लोबल लीडर बनेगा भारत

इस समझौते का मकसद नेशनल सुपरकम्प्यूटिंग मिशन के तहत भारत को डिजिटल ट्रांसफॉर्मेशन के क्षेत्र में ग्लोबल लीडर बनाना है. भारत ने नेशनल सुपरकम्प्यूटिंग मिशन की शुरुआत 2015 में की थी. सरकार चाहती है कि देश भर में शोध और अकादमिक संस्थानों में 73 उच्च क्षमता वाली कम्प्युटिंग इकाइयों की स्थापना की जाए. इसके लिए अगले 7 साल में कुल 4500 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. मोदी सरकार की ये एक दूरगामी परियोजना है, देश की तरक्की में जिसके बेहद महत्वपूर्ण प्रभाव होंगे.

शोध संस्थानों को फायदा

इस समझौते के तहत एटॉस भारत में बुलसेकुआना सुपर कम्प्यूटर डिप्लॉय करेगा, ताकि भारत में 10 पेटाफ्लॉप से अधिक की कम्प्यूटिंग पावर की स्थापना की जा सके. पेटाफ्लॉप कम्प्यूटर की स्पीड को नापने का एक मानक है. सुपर कम्प्यूटर की स्पीड बहुत अधिक होती है और ये बेहद जटिल गणनाओं को कुछ पल में हल कर सकते हैं. इससे भारत के शोध संस्थानों को फायदा होगा, जिससे आगे चलकर देश के विकास में तेजी आएगी.