सत्ता में मोदी सरकार की फिर से वापसी के फौरन बाद से सरकार ने भ्रष्टाचार पर नकेल लगानी शुरू कर दी है. भ्रष्टाचार के आरोपों में एक दर्जन आयकर अधिकारियों को बाहर का रास्ता दिखाने के कुछ दिनों के बाद अब अप्रत्यक्ष कर से जुड़े 15 वरिष्ठ राजस्व अधिकारियों पर गाज गिरी है. इन अधिकारियों को घूस मांगने, आपराधिक साजिश करने से लेकर वित्तीय अनियमितताओं के कारण जबरन कार्यमुक्त कर दिया गया है. 

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मोदी सरकार ने मंगलवार को 15 वरिष्ठ अफसरों को जबरदस्ती रिटायरमेंट (Compulsory Retirement) दे दिया है. ये सभी अफसर टैक्स विभाग के हैं. इनमें मुख्य आयुक्त, आयुक्त और अतिरिक्त आयुक्त स्तर के अधिकारी शामिल हैं. डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ऐंड एडमिनिस्ट्रेटिव रिफॉर्म्स के नियम 56 के तहत वित्त मंत्रालय ने इन अफसरों को सरकार समय से पहले ही रिटायरमेंट दे रही है.

वित्त मंत्रालय के सूत्रों ने कहा कि केंद्रीय अप्रत्यक्ष कर और सीमा शुल्क बोर्ड (सीबीआईसी) के कुछ अधिकारियों के अलावा प्रधान आयुक्त और आयुक्त रैंक के अधिकारियों को केंद्रीय सिविल सेवा (पेंशन) नियमों के नियम 56(जे) के तहत कार्यमुक्त किया गया है. जिन अधिकारियों को कार्यमुक्त किया गया है, उनमें पीआर एडीजी (ऑडिट) प्रधान आयुक्त अनूप श्रीवास्तव, निलंबन का सामने कर रहे एक आयुक्त अतुल दीक्षित और एडीजी डीजीपीएम चेन्नई के आयुक्त जी. श्री हर्षा शामिल हैं.

इसके अलावा मुंबई जीएसटी जोन के सहायक आयुक्त विनोद कुमार संघा, भुवनेश्वर जीएसटी जोन के सहायक आयुक्त एस.एस. बिष्ट और दिल्ली जीएसटी जोन के उपायुक्त अमरेश जैन समेत अन्य अधिकारियों को अनिवार्य सेवानिवृत्त किया गया है.

सरकार ने इस कदम से साफ किया है कि रिश्वतखोर और दागी छवि वाले अफसर सरकार को बर्दाश्त नहीं हैं. सरकार लंबे समय से ऐसे अधिकारियों के बारे में जानकारी जुटा रही थी. 

पहले 12 अफसरों पर गिरी थी गाज

बात दें कि कुछ दिन पहले ही वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सख्त फैसला लेते हुए 12 दागी अफसरों को जबरन रिटारयमेंट पर भेजने का फैसला किया था. इन 12 अधिकारियों में अशोक अग्रवाल (आईआरएस 1985), एसके श्रीवास्तव (आईआरएस 1989), होमी राजवंश (आईआरएस 1985), बीबी राजेंद्र प्रसाद, अजॉय कुमार सिंह, बी अरुलप्पा, आलोक कुमार मित्रा, चांदर सेन भारती, अंडासु रवींद्र, विवेक बत्रा, स्वेताभ सुमन और राम कुमार भार्गव शामिल थे.