सरकार घर खरीदारों को राहत दिलाने के मकसद से नई वैकल्पिक योजना बनाने जा रही है. दरअसल दिल्ली-एनसीआर के अलावा देश के कई शहरों में लाखों घर खरीदारों को बिल्डर का भुगतान करने के बाद भी घर का पजेशन नहीं मिला है. ऐसा अलग-अलग कारणों से हो रहा है. ऐसे में सरकार वर्षों से आशियाने का इंतजार कर रहे लोगों को राहत देने के मकसद से फंसे हुए प्रोजेक्ट के लिए वैकल्पिक व्यवस्था तलाश कर रही है. इसकी घोषणा सरकार की तरफ से जल्द की जा सकती है.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

जारी है विचार-विमर्श

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार इसके लिए वित्त मंत्रालय और शहरी विकास मंत्रालय के अधिकारियों के बीच हुई बैठक हुई है. इस बैठक में एनबीसीसी के अधिकारियों ने भी हिस्सा लिया है. सूत्रों ने दावा किया कि घर खरीदारों को राहत देने के मकसद से बैठक बजट के बाद शनिवार को की गई. अधिकारियों के बीच हुई इस मीटिंग में फंसे हुए प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए आने वाले अनुमानित खर्च पर चर्चा भी की गई.

एनबीसीसी की भूमिका

सूत्रों ने बताया कि बैठक के दौरान एनबीसीसी से फंसे हुए प्रोजेक्ट को जल्द पूरा करने की योजना बनाने के लिए कहा गया है. एनबीसीसी से कहा गया है कि फंसे हुए प्रोजेक्ट को पूरा करने के लिए कितना खर्चा होगा, उसका हिसाब बताया जाए. सरकार की तरफ से फंसे हुए प्रोजेक्ट के लिए अलग से फंड बनाने पर सहमति बनी है. इस फंड से रियल एस्टेट कंपनियों की खाली पड़ी ज़मीन के इस्तेमाल पर सहमति बनी है.

चुनाव से पहले शुरू हो सकता है काम

सरकार की मंशा है कि लोकसभा चुनाव से पहले इन फंसे हुए प्रोजेक्ट पर निर्माण कार्य शुरू कर दिया जाए. अगर ऐसा करने में कामयाबी मिलती है तो सरकार को उम्मीद है कि इसका फायदा आने वाले चुनावों में मिलेगा. आपको बता दें कि कुछ बिल्डर पहले से ही दिवालियापन की प्रक्रिया से गुजर रहे हैं. एक आंकड़े के अनुसार सिर्फ नोएडा, ग्रेटर नोएडा और यमुना एक्सप्रेसवे पर ही करीब 3.50 लाख फ्लैट फंसे हुए हैं. ऐसे में उम्मीद है कि फंसे हुए खरीदारों को सरकार जल्द राहत देगी.