MNREGA लेबर की इनकम हुई डबल, अब इतना पा रहे मेहनताना
Covid 19 महामारी के कारण मनरेगा लेबरों की इनकम डबल हो गई है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून, 2005 (Mnrega) के तहत चालू कारोबारी साल के पहले 4 महीने में प्रति व्यक्ति औसत मासिक आय दोगुनी होकर करीब 1,000 रुपये हो गई है.
Covid 19 महामारी के कारण मनरेगा लेबरों की इनकम डबल हो गई है. महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी कानून, 2005 (Mnrega) के तहत चालू कारोबारी साल के पहले 4 महीने में प्रति व्यक्ति औसत मासिक आय दोगुनी होकर करीब 1,000 रुपये हो गई है. जबकि 2019-20 में औसत मासिक आय 509 रुपये थी. रेटिंग एजेंसी क्रिसिल (Crisil) ने रिपोर्ट में कहा कि चालू कारोबारी साल में अप्रैल-जुलाई के दौरान लेबर डे में जितने कार्य हुए, वह पिछले साल के मुकाबले 25 प्रतिशत ज्यादा हैं. इससे गांवों में लोगों की आय बढ़ी.
बता दें कि Covid 19 महामारी और उसकी रोकथाम के लिए Lockdown के बाद कामकाज ठप होने से करोड़ों की संख्या में कामगार अपने घरों को लौटने को मजबूर हुए. इस दौरान उनके लिए मनरेगा आजीविका का प्रमुख सहारा बना.
क्रिसिल की रिपोर्ट के मुताबिक चालू कारोबारी साल में पहले 4 महीने में पिछले साल के मुकाबले मानव दिवस में 46 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई. साथ ही योजना के तहत औसत मजदूरी में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है. इसका कारण महामारी है, जिसने शहरों में काम करने वाले मजदूरों को गांव लौटने को मजबूर किया.
योजना के तहत हरेक परिवार को एक कारोबारी साल में कम से कम 100 दिन काम देने की व्यवस्था है. 2020-21 में मनरेगा के लिये बजट में 61,500 करोड़ रुपये का प्रावधान है. बाद में सरकार ने मनरेगा बजट में 40,000 करोड़ रुपये की बढ़ोतरी की. इसमें से 11,500 करोड़ रुपये का इस्तेमाल 2019-20 के बकाये के निपटान में हुआ. इससे मौजूदा साल के लिये 90,000 करोड़ रुपये बचा.
रिपोर्ट के मुताबिक इस कारोबारी साल के पहले 4 महीने में ही संशोधित फंड का 50 प्रतिशत से ज्यादा खर्च किया जा चुका है. मनरेगा का सबसे ज्यादा काम हरियाणा, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, ओड़िशा और गुजरात में है. इन राज्यों में 2020-21 के पहले 4 महीने में काम 50 प्रतिशत से ज्यादा बढ़ा है.
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रिपोर्ट के मुताबिक मजदूरी की आय में सबसे ज्यादा बढ़ोतरी आंध्र प्रदेश में देखी गई जहां साल के पहले चार महीने में यह दोगुनी से भी अधिक 1,340 रुपये मासिक हो गई जो एक साल पहले 2019-20 की इसी अवधि में 533 रुपये थी.
उसके बाद ओड़िशा का स्थान रहा जहां मजदूरी आय औसतन 421 रुपये से बढ़ कर 1,121 रुपये हो गई. कर्नाटक में यह 593 रुपये से बढ़कर 1,088 रुपये और हरियाणा में 600 रुपये से 1,075 रुपये हो गई. गुजरात में यह 507 रुपये से 1,031 रुपये और उत्तर प्रदेश में यह 576 रुपये से बढ़कर 1,004 रुपये पहुंच गई.