डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल को संसदीय समिति भेजने की तमाम खबरों का सरकार ने खंडन किया है. इस मामले में आईटी राज्यमंत्री राजीव चंद्रशेखर से स्‍पष्‍ट किया है कि बिल को अभी पेश नहीं किया गया है. इस तरह की सभी खबरें बेबुनियाद है. बता दें कि डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल को लेकर माना जा रहा है कि इसे मानसून सत्र के दौरान पेश किया जा सकता है. बता दें कि इसी साल अप्रैल में केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को यह जानकारी दी थी कि इस साल मानसून सत्र में इस प्रोटेक्शन बिल को पेश किया जाएगा.

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सरकार की तरफ से ये बिल किसी भी तरह के डाटा को सुरक्षित रखने के लिए लाया गया है. इस बिल में डाटा के गलत इस्तेमाल पर 250 करोड़ रुपए तक की पेनल्टी का प्रावधान भी किया गया है. इस बिल के लागू होने के बाद अगर किसी भी यूजर के पर्सनल डाटा का गलत प्रयोग किया गया तो संबंधित कंपनी या प्लेटफॉर्म पर 250 से 500 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा.

क्‍या है डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन बिल

डिजिटल डाटा प्रोटेक्शन बिल को देशवासियों के लिए बेहद जरूरी माना जा रहा है. दरअसल अब तक कहीं भी रजिस्ट्रेशन करते वक्त संबंधित कंपनी या प्लेटफॉर्म को हम अपना पर्सनल डाटा यूज करने की अनुमति देते हैं. इसमें कंपनी और यूजर के बीच इस तरह की स्थिति स्‍पष्‍ट नहीं होती है कि इस डाटा का प्रयोग कंपनी कैसे करेगी. लेकिन ये बिल अगर पास हो जाता है तो ये आम लोगों के डाटा को सुरक्षा प्रदान करने का काम करेगा. 

क्‍यों जरूरी है ये बिल

बता दें कि पर्सनल डाटा में लोगों का फोन नंबर, आधार, पैन, एड्रेस, लोकेशन सबकुछ होता है. इसके लीक होने से हैकर्स आसानी से यूजर्स की जानकारी को हासिल कर सकते हैं और उनके बैंक अकाउंट खाली करने से लेकर तमाम तरह के नुकसान पहुंचा सकते हैं. यही वजह है कि देश की तमाम पॉलिसी संस्थाएं लगातार सरकार पर दबाव बना रही थीं कि देश में डाटा संरक्षण के लिए एक कानून होना चाहिए जो आम लोगों के डाटा की सुरक्षा करे.

इस बिल में क्‍या है खास

इसको लेकर पहला मसौदा साल 2022 में नवबंर में पेश किया गया था. यूजर के डाटा को सुरक्षित बनाने के लिए इस बिल में कई तरह की शर्तों को लागू किया गया है. इस बिल के मुताबिक बिना कंज्यूमर की मर्जी के डाटा का इस्तेमाल नहीं हो सकता. कंपनियों को हर डिजिटल नागरिक को साफ और आसान भाषा में सारी जानकारी देनी होगी. किसी भी समय ग्राहक अपना कन्सेंट वापस ले सकता है. गलत इस्तेमाल पर 250 करोड़ रुपए तक की पेनल्टी का प्रावधान है. 

अगर कानून बना तो देश में क्‍या बदलेगा

अगर मानसून सत्र में इस बिल को पेश किया जाता है और ये दोनों सदनों में पास हो जाता है, तो ये राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए जाएगा. इसके कानून बन जाने के बाद कोई भी प्लेटफार्म किसी यूजर का पर्सनल डाटा मांगता है, तो उसे डाटा की सुरक्षा को भी सुनिश्चित करना होगा. उस डाटा के इस्‍तेमाल से पहले यूजर से अनुमति लेनी होगी. संबंधित प्लेटफॉर्म को एक डाटा प्रोटेक्शन बोर्ड भी बनाना होगा, जो इस प्रक्रिया पर नजर रखेगा.

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