अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की बढ़ती कीमतों से परेशान सरकार ने देश में जैव ईंधन खासकर मेथनॉल के उत्पादन और इसके इस्तेमाल को बढ़ावा देने की योजना तैयार की है. इसके तहत अब रसोई घरों में मेथनॉल से चूल्हा जलाने की तैयारी की जा रही है. नीति आयोग के सदस्य वीके सारस्वत ने कहा कि स्वच्छ ईंधन के रूप में मेथनॉल को घरो में खाना पकाने के ईंधन के साथ परिवहन ईंधन के रूप में उपयोग के लिये बढ़ावा दिया जा रहा है.

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आयोग मेथनॉल से चलने वाले 70,000 गैस स्टोव वितरण के लिये उत्तर प्रदेश और असम से बातचीत कर रहा है. उन्होंने कहा, ‘हम मेथनॉल को खाने पकाने के ईंधन के रूप में उपयोग पर गौर कर रहे हैं और पायलट परियोजना के तहत असम पेट्रो काम्प्लेक्स में 500 परिवार को मेथनॉल चालित गैस चूल्हा दिया है.’ 

सारस्वत ने कहा, ‘असम के बाद हम उत्तर प्रदेश सरकार के साथ काम कर रहे हैं. पहले पूर्वी उत्तर प्रदेश में इसका वितरण किया जाएगा. उसके बाद महाराष्ट्र में इसका वितरण होगा.’ 

उन्होंने कहा कि मेथनॉल ईंधन से चलने वाले खाने पकाने का चूल्हा बनाने का कारखाना बेंगलुरू और असम में लगाया जाएगा. इसके लिये प्रौद्योगिकी स्वीडन से ली गयी है. जबतक स्थानीय तौर पर प्रौद्योगिकी का विकास नहीं होता, वाणिज्यिक उपयोग के लिये बड़े स्टोव का आयात किया जाएगा.

पेट्रोल में बढ़ाई जाएगी मेथनॉल की मात्रा

मेथनॉल साफ और रंगहीन तरल पदार्थ है जिसका उत्पादन प्राकृतिक गैस, कोयला आदि से होता है. सारस्वत ने कहा कि भारत पेट्रोल में 15 प्रतिशत मेथनॉल मिलाने को तैयार है और आयोग जल्दी ही यात्री वाहनों के लिये मेथनॉल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग को अनिवार्य बनाने को लेकर कैबिनेट नोट लाएगा.

उन्होंने कहा कि यात्री वाहनों के लिये 15 प्रतिशत मेथनॉल मिश्रित पेट्रोल के उपयोग को अनवार्य किये जाने से पेट्रोल की लागत 3-4 रुपये लीटर नीचे आ जाएगी. 

मेथनॉल से चलेंगी बस

नीति आयोग सदस्य ने यह भी घोषणा की कि सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय 60 बसें पेश करेगी जो मेथनॉल से चलेंगी. शुरू में इन बसों को आयात किया जाएगा और इसके छह महीने में सड़कों पर आने की संभावना है. इसके अलावा भारत नौ ऐसे पोतों का परिचालन भी करेगा जिसमें ईंधन के रूप में मेथनॉल का उपयोग किया जाएगा. इस बारे में पहले ही नियम जारी किये जा चुके हैं. कोल इंडिया ने कोयले से मेथनॉल के उत्पादन के लिये 14 ब्लाक की पहचान की है.

सारस्वत ने कहा, ‘हम उम्मीद करते हैं कि 2022 तक हमारे पास कोयला आधारित मेथनॉल उत्पादन होगा. फिलहाल हमें आयातित मेथनॉल की जरूरत है. इसके लिये प्रक्रिया जारी है.’ आयोग ने कुल आयातित कच्चे तेल में 20 प्रतिशत हिस्से को मेथनॉल से प्रतिस्थापित करने की व्यापक योजना बनाई है.

अभी भारत में 4.7 लाख टन मेथनॉल उत्पादन क्षमता है. लेकिन उत्पादन केवल दो लाख टन होता है. इसके मुकाबले मेथनॉल की कुल खपत 18 लाख टन से भी ज्यादा पहुंच चुकी है. इस मांग को पूरा करने के लिए सरकार देश में 30-40 लाख टन मेथनॉल उत्पादन क्षमता स्थापित करना चाहती है.

(इनपुट भाषा से)