सपा का गढ़ कहलाने वाली हाई प्रोफाइल लोकसभा सीट मैनपुरी के नतीजे (Mainpuri By Election Result) आ चुके हैं. यहां से मुलायम सिंह यादव की बहू डिंपल यादव (Dimple Yadav) ने भारी बहुमत से जीत दर्ज कराई है. उन्‍होंने भाजपा प्रत्‍याशी रघुराज सिंह शाक्‍य को हराया है. बता दें कि मैनपुरी सीट पर नेताजी मुलायम सिंह यादव ने पहली बार वर्ष 1996 में पहली बार चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी. समय के साथ नेताजी का दबदबा यहां बढ़ता चला गया और 1996 के बाद यहां कभी कोई और पार्टी जीत हासिल नहीं कर पायी. 

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नेता जी के निधन के बाद अखिलेश ने पत्‍नी डिंपल यादव पर भरोसा जताते हुए उन्‍हें मैनपुरी से उम्‍मीदवार बनाया था. डिंपल ने ये चुनाव जीतकर अखिलेश के भरोसे को कायम रखा है. अब वे अपने ससुर मुलायम सिंह यादव की विरासत को संभालेंगी और तीसरी बार सांसद बनेंगी. आइए जानते हैं मुलायम की बहू डिंपल यादव की नेटवर्थ (Dimple Yadav Net Worth).

करोड़ों रुपए संपत्ति की मालकिन

मैनपुरी सीट के लिए नामांकन भरते समय डिंपल यादव ने 19 पेज में अपनी संपत्ति का भी ब्यौरा दिया था. नामांकन में दी गई जानकारी के मुताबिक, डिंपल यादव 9 करोड़ 62 लाख रुपए की चल-अचल संपत्ति की मालकिन हैं. उनके पास 4 करोड़ 62 लाख रुपए की चल संपत्ति है. जबकि 4 करोड़ 99 लाख रुपये की अचल संपत्ति है.डिंपल को कार का खास शौक नहीं है, इसलिए उनके नाम कोई कार नहीं है और न ही उनके पास कोई हथियार है. डिंपल यादव की आय का साधन किराया और खेती है.

पति की संपत्ति में भी हिस्‍सेदारी

नामांकन में दी गई जानकारी के अनुसार डिंपल यादव के इटावा, लखनऊ और दिल्‍ली में अलग अलग बैंकों में आठ खाते हैं. डिंपल को गहनों का काफी शौक है. उनके पास 59 लाख से ज्‍यादा कीमत के हीरे, मोती और सोने के गहने हैं. डिंपल अपने पति अखिलेश यादव की भी संपत्ति में भी हिस्सेदार हैं. लखनऊ में दो मकान हैं, एक में उनका आधा हिस्सा है. उन्होंने बैंक से कर्ज भी ले रखा है और अपनी संपत्ति से किराया भी वसूलती हैं. डिंपल ने बिरला सनलाइफ और जनरल इंश्योरेंस से बीमा करवा रखा है. एक्सिस बैंक लखनऊ से उनका 517000 का किराए का एग्रीमेंट है. डिंपल यादव के खिलाफ किसी भी थाने में कोई आपराधिक मामला दर्ज नहीं है.

दो बार कन्‍नौज से रह चुकी हैं सांसद

डिंपल यादव दो बार सांसद रह चुकी हैं. 2012 में डिंपल को सपा ने कन्नौज सीट पर प्रत्‍याशी बनाया था. यहां चुनाव जीतने के बाद वे पहली बार सांसद बनी. इसके बाद 2014 की मोदी लहर में भी उन्होंने अपनी सीट बचाए रखी और कन्नौज से ही वे दूसरी बार सांसद चुनी गईं. हालांकि 2019 में वे कन्‍नौज सीट को बचा पाने में नाकामयाब रहीं. उन्‍हें भाजपा प्रत्‍याशी सुब्रत पाठक ने हराया था.