आमतौर पर डॉक्टर के पर्चे पर लिखी भाषा समझ से परे होती है. सभी ये मानने लगे हैं कि डॉक्टर के पर्चे ऐसे ही होते हैं और उसे समझना असंभव है. लेकिन मध्य प्रदेश में इंदौर के  एमजीएम मेडिकल कॉलेज ने डॉक्टरों की हैंडराइटिंग को सुधारने के लिए विशेष ट्रेनिंग देने की घोषणा की है. इस कवायद का मकसद है कि मरीजों को पर्चा आसानी से समझ में आई और उनके उपचार में कोई गलती न हो. 

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इसके तहत मेडिकल के छात्रों के लिए अलग से ट्रेनिंग सेशन और सेमिनार का आयोजन किया जाएगा, जिससे उनकी लिखावट में सुधार आ सके. एमजीएम मेडिकल कॉलेज की डीन ज्योति बिंदल ने बताया, 'हम मेडिकल स्टूडेंट के लिए राइटिंग सेमिनार करने वाले हैं, ताकि उनके लिए पर्चे मरीजों को समझ में आएं. हम चाहते हैं कि ये धारणा खत्म हो कि डॉक्टर के पर्चे समझ में ही नहीं आते.' इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी गाइडलाइन जारी की है कि डॉक्टर या तो अपनी राइटिंग सुधार लें या फिर कैपिटल लेटर्स में लिखना शुरू कर दें.

इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच ने हाल ही में तीन डॉक्टरों पर खराब हैंडराइटिंग को लेकर जुर्माना लगाया था. दरअसल उन्हें अपराध के तीन अलग मामलों में सीतापुर, उन्नाव और गोंडा के अस्पतालों ने जो रिपोर्ट पेश की थी वो पढ़े जाने योग्य नहीं थी क्योंकि डॉक्टरों की लिखावट बहुत खराब थी. कोर्ट के काम में बाधा मानते हुए बेंच ने तीनों डॉक्टरों- सीतापुर के पीके गोयल, उन्नाव के टीपी अग्रवाल और गोंडा के आशीष सक्सेना को हाजिर होने का आदेश जारी किया और पांच-पांच हजार का जुर्माना लगाया. डॉक्टरों का कहना है कि उन्हें एक्जाम में कम समय में कई प्रश्नों के उत्तर लिखने होते हैं, ऐसे में तेजी से लिखे बिना पेपर पूरा नहीं किया जा सकता. जल्दबाजी में लिखने के कारण उनकी हैंडराइटिंग ऐसी हो जाती है.