देश भर से करीब 1 लाख किसान 30 नवंबर को राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्‍ली में जुटे हैं. उन्‍होंने अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति (एआईकेएससीसी) के बैनर तले किसान रामलीला मैदान से संसद मार्ग तक मार्च निकाला. इस रैली में छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, केरल, बंगाल, बिहार, उत्तर प्रदेश, तमिलनाडु, कर्नाटक, राजस्थान, महाराष्‍ट्र और आंध्रप्रदेश के किसान शामिल हुए हैं. कुछ ऐसा ही प्रदर्शन कोलकाता में भी चल रहा है. कुछ दिन पहले किसानों ने मुंबई तक मार्च निकाला था. नवंबर अंत में आखिर क्‍यों किसान महारैली निकाल रहे हैं. आइए जानते हैं किसानों के सड़क पर उतर कर महारैली निकालने के 2 बड़े कारण: 

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1- फार्म लोन माफी

किसानों की मांग है कि उनके फार्म लोन की माफी की जाए. उनकी इस मांग को सरकार तक पहुंचाने के लिए कई महिला किसान और दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र भी रैली में शामिल हुए. इंडिया स्‍पेंड की रिपोर्ट के मुताबिक 2017 में पैदावार सर्वाधिक रही. सरकार का कृषि बजट 111 प्रतिशत तक बढ़ गया लेकिन फसल की कीमतें औंधे मुंह नीचे गिरीं. इसका खामियाजा यह हुआ है कि 2017 में फार्म लोन 20 प्रति बढ़ गया है. ऐसा तब है जब 60 करोड़ खेती किसानी पर निर्भर हैं. कई दिग्गज पत्रकार सहित सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि देश में किसानों की हालत इस हद तक बदतर हो चुकी है, जैसी कि पहले कभी नहीं थी.

2- फसलों का ऊंचा मूल्‍य मिले

किसान अपनी फसल का ऊंचा मूल्‍य चाहते हैं, जो उन्‍हें नहीं मिल रहा. उनकी यह मांग काफी पुरानी है. स्वाभिमानी शेतकारी संगठन के नेता और सांसद राजू शेट्टी ने 2017 में लोकसभा में दो निजी सदस्य विधेयक पेश किए थे ताकि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिशों के आधार पर कृषि उत्पादों के लिए उचित दाम की गारंटी और ऋण माफ हो सके. शेट्टी एआईकेएससीसी का भी हिस्सा हैं. एआईकेएससीसी की मांग है कि विधेयक पर संसद में चर्चा हो और उसे पारित किया जाए. संगठन ने कहा कि 21 राजनीतिक दलों ने विधेयक को अपना समर्थन दिया है और उनके प्रतिनिधि शुक्रवार को मार्च में शामिल हुए. बता दें देश भर से किसानों का दिल्ली पहुंचने का सिलसिला बुधवार से ही शुरू हो चुका था, जो कि आज सुबह तक जारी रहा.

 

क्‍या है रणनीति

दिल्‍ली समेत 3 मेट्रो में किसानों के महाआंदोलन का उद्देश्‍य विशेष संसदीय सत्र बुलाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने का है. वे चाहते हैं इससे किसान मुक्ति बिल को पारित कराने का मार्ग प्रशस्‍त होगा. इन बिलों में प्रस्‍ताव है कि न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य (MSP) पर ढंग से अमल हो. सरकार उनकी फसल खरीदे और किसान कर्ज माफी के लिए डेट रिलीफ कमिशन बने. यह कमिशन परेशान किसानों की दैनिय स्थिति का अध्‍ययन करने के बाद उसे माफ करने की सिफारिश करे.