प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को कुंडली-मानेसर-पलवल (केएमपी) एक्सप्रेस-वे को जनता के लिए समर्पित किया. इस एक्सप्रेस-वे की मदद से पंजाब, हरियाणा सहित हिमांचल और जम्मू कश्मीर की ओर से आने-जाने वाले वाहनों को अब दिल्ली का चक्कर नहीं लगाना होगा. केएमपी एक्सप्रेस-वे पर भारी वाहन 100 और हल्के वाहन 120 किमी/घंटा की स्पीड से दौड़ सकेंगे. यह एक्सप्रेस-वे जहां एक तरफ दिल्ली में वाहनों की बढ़ती संख्या को कम करेगा, वहीं दिल्ली-एनसीआर की हवा में बढ़ते प्रदूषण को भी कम करेगा. यह देश का पहला ग्रीन हाईवे है. इस परियोजना से उत्तरी हरियाणा के साथ ही राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में यातायात का दबाव कम होगा.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

वेस्‍टर्न पेरीफेरल एक्‍सप्रेस-वे के उद्घाटन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने भाषण में कहा कि इस वेस्‍टर्न पेरीफेरल एक्‍सप्रेस-वे के द्वारा प्रदूषण से लड़ने में मदद मिलेगी. इससे दिल्ली का प्रदूषण काफी कम होगा घटेगा. और यह एक्‍सप्रेस-वे अर्थव्‍यवस्‍था, पर्यावरण, पर्यटन और रहन-सहन में मदद देगा.  

पूरा रूट 270 किलोमीटर का

वेस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे और ईस्टर्न पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे को जोड़ने का काम चल रहा है और इसके चालू होते ही 50,000 भारी वाहनों को दिल्ली में जाने से निजात मिलेगी. इससे दिल्ली में यातायात जाम की समस्या के साथ-साथ बढ़ते प्रदूषण से भी राहत मिलेगी. ईस्टर्न पेरिफेरल वे का उद्घाटन प्रधानमंत्री ने मई के महीने में किया था. ईस्टर्न पेरिफेरल एवं वेस्टर्न पेरिफेरल को साथ जोड़ने पर यह पूरा रूट करीब 270 किलोमीटर का होता है. 

यह भी पढ़ें- 6400 करोड़ रुपये से बना है वेस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेसवे, 90 मिनट में पूरा होगा 135 KM का सफर

135 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेस-वे को 6400 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया गया है. इस पर सोनीपत से मानेसर तक सात टोल बूथ हैं. इस पर वाहन जितनी दूरी तय करेगा, उतना ही टोल देना होगा. इस एक्सप्रेसवे में आठ छोटे और छह बड़े पुल, चार रेलवे ओवरब्रिज तथा 34 अंडरपास हैं. 

प्रदूषण से मिलेगी राहत

केएमपी एक्सप्रेस-वे देश के चार सबसे राष्ट्रीय राजमार्गों कुंडली (सोनीपत) के पास एनएच-1, बहादुरगढ़ के पास एनएच-10, मानेसर (गुरुग्राम) में एनएच -8 और पलवल के पास एनएच-2 को जोड़ता है. 

दिल्ली के चारों तरफ कुंडली-गाजियाबाद-पलवल (केजीपी) के साथ केएमपी के जुड़ने से दिल्ली के आसपास के प्रमुख औद्योगिक जिले गुरुग्राम, फरीदाबाद, गाजियाबाद और नोएडा करीब आ जाएंगे. इन शहरों में बड़ी मात्रा में औद्योगिक इकाइयां संचालित हैं, जिनमें लाखों लोग कार्य करते हैं और यहां से रोजाना कई लाख वाहन माल ढोते हैं. इन वाहनों के कारण सड़कों पर लंबा जाम भी लगा रहता है. इस एक्सप्रेस-वे के शुरू होने से कॉमर्शियल वाहन दिल्ली में एंट्री किए बिना ही अन्य शहर आसानी से आ-जा सकते हैं. 

दिल्ली के अंदर से गुजरने के कारण कॉमर्शियल वाहनों को नो एंट्री का इंतजार करना पड़ता है, जिससे ये वाहन दिल्ली की सीमा पर पूरा दिन खड़े रहते हैं. गाजियाबाद-नोएडा से मनेसर में 80-90 किलोमीटर की दूरी तय करने में इन वाहनों को पूरा दिन लग जाता है. लेकिन अब ऐसा नहीं होगा. इस एक्सप्रेस-वे के द्वारा 24 घंटे की दूरी को चंद ही घंटों में पूरा किया जा सकता है और वह भी नो एंट्री का इंतजार किए बिना.