Justice DY Chandrachud: जस्टिस चंद्रचूड़ होंगे देश के 50वें CJI, 9 नवंबर को पदभार
Justice DY Chandrachud: डीवाई चंद्रचूड़ 9 नवंबर 2022 को देश के अगले चीफ जस्टि ऑफ इंडिया का पदभार ग्रहण करेंगे. कानून मंत्री किरण रिजिजू ने कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस चंद्रचूड़ को देश का अगला सीजेआई नियुक्त किया है.
Justice DY Chandrachu: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने डीवाई चंद्रचूड़ को देश के अगले चीफ जस्टिस के रूप में नियुक्त किया है. वे 9 नवंबर 2022 को पदभार ग्रहण करेंगे. वे इस पद पर 10 नवंबर 2024 तक बने रहेंगे. जस्टिस चंद्रचूड़ सुप्रीम कोर्ट के 50वें चीफ जस्टिस होंगे. वे यूयू ललित की जगह लेंगे. जस्टिस ललित का यह कार्यकाल केवल 74 दिनों का रहा और यह 8 नवंबर को खत्म हो रहा है. बीते हफ्ते उन्होंने जस्टिस चंद्रचूड़ का नाम देश के अगले सीजेआई के रूप में नामित किया था.
13 मई को 2016 को सुप्रीम कोर्ट ज्वॉइन किए थे
जस्टिस चंद्रचूड़ 13 मई को 2016 को सुप्रीम कोर्ट ज्वॉइन किए थे. वे पूव सीजेआई वाईवी चंद्रचूड़ के बेटे हैं जो देश के सबसे ज्यादा दिनों तक रहने वाले चीफ जस्टिस थे. उनका कार्यकाल 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक रहा था. केंद्रीय कानून मंत्री किरण रिजिजू ने ट्वीट कर कहा कि राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस चंद्रचूड़ को देश का अगला सीजेआई नियुक्त किया है.
इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं जस्टिस चंद्रचूड़
- जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने 13 मई 2016 को सुप्रीम कोर्ट के जज का पदभार संभाला था.
- सुप्रीम कोर्ट में आने से पहले इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं. वहीं बॉम्बे हाईकोर्ट में भी वह बतौर जज काम कर चुके हैं.
- जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ दुनिया के कई बड़े विश्वविद्यालयों में लेक्चर दे चुके हैं. बतौर जज नियुक्त होने से पहले वह देश के एडिशनल सॉलिसिटर जनरल रह चुके हैं.
- सबरीमाला, भीमा कोरेगांव, समलैंगिकता, आधार और अयोध्या केस में जज रह चुके हैं.
महत्वपूर्ण निर्णय
- हाल ही में स्वास्थ्य और परिवार कल्याण विभाग, सरकार राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली और अन्य के निर्णय में न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने कहा कि सभी महिलाएं सुरक्षित और कानूनी गर्भपात की हकदार हैं.
- जस्टिस चंद्रचूड़ अयोध्या विवाद का फैसला करने वाली 5 जजों की बेंच का भी हिस्सा थे. न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने एक अलग सहमति वाला निर्णय दिया.
- जस्टिस चंद्रचूड़ जे ने इंडियन यंग लॉयर्स एसोसिएशन बनाम केरल राज्य में फैसला सुनाया कि सबरीमाला मंदिर से 10 से 50 वर्ष की आयु की महिलाओं को बाहर करना संवैधानिक नैतिकता का उल्लंघन है.