जोशीमठ मामला: 16 जनवरी को सुनवाई करेगा सुप्रीम कोर्ट, कहा- 'देश में सबकुछ महत्वपूर्ण है, देश में चुनी हुई सरकार है
CJI ने कहा कि चुनी हुई सरकार पहले से ही इस मामले के समाधान में जुटी हुई है. कोर्ट ने ये कहा कि वे समस्या को समझते है और उसपर 16 जनवरी को विचार करेंगे, लेकिन इसपर तत्काल सुनवाई करना संभव नहीं है.
सुप्रीम कोर्ट ने जोशीमठ मामले पर 16 जनवरी 2023 की तारिख दी है. ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी. शंकराचार्य की तरफ से वरिष्ठ वकील पीएन मिश्रा ने कहा सरकारों की लापरवाही का खामियाजा जोशीमठ के लोग भुगत रहे हैं. उन्होंने कहा कि अदालत से गुजारिश है कि तत्काल सुनवाई कर मामले पर उचित आदेश जारी करें. मुख्य न्यायधीश ने कहा कि चुनी हुई सरकार पहले से ही इस मामले के समाधान में जुटी हुई है. कोर्ट ने ये भी कहा कि वे समस्या को समझते है और उसपर 16 जनवरी को विचार करेंगे, लेकिन इसपर तत्काल सुनवाई करना संभव नहीं है.
आपकी जानकारी के लिए बात दें की उत्तराखंड के चार धामों में से एक बद्रीनाथ का द्वार कहे जाना वाला जोशीमठ आज भारी संकट में है. जोशीमठ में करीब 68 परिवारों को सुरक्षित जगहों पर पुनर्वास कर दिया गया है. इतना ही नहीं, जोशीमठ (Joshimath) में घरों में दरारें और सड़कों पर दरारें बढ़ती जा रही है. बता दें कि चमोली के DM हिमांशु खुराना ने बताया कि जोशीमठ को आपदा-संभावित क्षेत्र घोषित कर दिया गया है. ऐसे में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने सुप्रीम कोर्ट में तत्काल सुनवाई की याचिका दायर की, जिसे खारिज कर दिया गया था. बता दें कि सुप्रीम कोर्ट से तत्काल सुनवाई की मांग की गई है, लेकिन इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने तत्काल सुनवाई करने से मना कर दिया है.
तत्काल सुनवाई की याचिका खारिज
CJI ने कहा कि पहले मामले को कोर्ट के सामने मेंशन करिए और उसके बाद देखा जाएगा. बता दें कि शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी. इसके अलावा इस याचिका में तपोवन-विष्णुगढ़ विद्युत परियोजना पर रोक और प्रभावित लोगों को मदद देने, संपत्ति का बीमा करने की मांग की भी मांग की गई है.
जोशीमठ के डूबने के प्रमुख कारण
- जोशीमठ सतह अस्थिरता का सामना क्यों कर रही है, इसका एक कारण एनटीपीसी जल विद्युत परियोजना (NTPC Hydro Electric Project) है. तपोवन विष्णुगढ़ जलविद्युत संयंत्र (Tapovan Vishnugarh Hydroelectric Plant) 520 मेगावाट की रन-ऑफ-रिवर जलविद्युत परियोजना (run-of-river hydroelectric project) है, जिसके कारण जोशीमठ की जमीन और नदी अस्त-व्यस्त हो गई है.
- जोशीमठ में पर्यटन और निर्माण गतिविधियां इस शहर के डूबने के प्रमुख कारण हैं. शहर में हर साल लाखों लोग आते हैं, यही वजह है कि भूस्खलन (Landslide) की आशंका वाले मैदान को अस्थिरता का सामना करना पड़ रहा है.
- जोशीमठ में बढ़ती आबादी और पर्यटन ने बहुत सारे विकास को जन्म दिया है जैसे कि रेस्तरां और होटलों की संख्या में वृद्धि, जो आगे चलकर विकासात्मक परियोजनाओं और निर्माण गतिविधियों की ओर ले जाती है.
- जोशीमठ एक पूर्व भूस्खलन और भूकंप क्षेत्र है, जिसका अर्थ है कि शहर का अधिकांश भाग भूस्खलन के मलबे पर बना हुआ है, जिससे चिकनी और क्षत-विक्षत चट्टानें और सतह पर ढीली मिट्टी बनती है.
- जोशीमठ भूकंपीय क्षेत्र V में स्थित है, जो भूकंप के लिए काफी प्रोन इलाका है, इसके अलावा वहां धीरे-धीरे पानी का रिसाव होता है, जो समय के साथ चट्टानों की कोहेसिव स्ट्रेंथ (Cohesive Strength) को कम कर देता है.
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