मानसून (Monsoon) को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार ने ‘जल शक्ति अभियान’ के तहत तैयारियां शुरू कर दी हैं. सरकार ने  ‘जल शक्ति अभियान’ के अगल अलग हिस्सों के जरिए कोरोना के संकट से उबरने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था (Rural economy) को मजबूत बनाने के लिए प्लान तैयार किया है. ग्रामीण क्षेत्रों में बड़ी संख्या में उपलब्ध श्रमिकों की उपलब्धता को देखते हुए प्लान तैयार किया गया है. ऐसे में गांवों में बड़ी संख्या में लोगों को रोजगार (Employment) मिल सकेगा.  

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

सरकार ने इन कामों को दी इजाजत

गृह मंत्रालय (Home Ministry) ने सिंचाई और जल संरक्षण (water conservation) के कामों को देखते हुए लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान प्राथमिकता के आधार पर मनरेगा (MNREGA) के जरिए पेयजल और स्वच्छता के कामों को कराए जाने के लिए अनुमति दे दी है. सरकार ने पारंपरिक जल स्रोतों का जीर्णाद्धार, जल स्रोतों से अतिक्रमण हटाए जाने, झीलों और तालाबों से गाद निकालने, जल ग्रहण क्षेत्र की मरम्मत जैसे को प्राथमिकता के आधार पर कराए जाने की बात कही है. वहीं छोटी नदियों की हालत को बेहतर बनाने के लिए सामुदायिक नदी बेसिन प्रबंधन के काम को भी शुरू किया जा सकता है. ऐसी गतिविधियों से ग्रामीण क्षेत्रों में जल स्रोतों को बेहतर बनाए रखने में मदद मिलेगी.  इससे जल शक्ति मंत्रालय द्वारा लागू किए जा रहे जल जीवन मिशन को मजबूती मिलेगी.

मनरेगा के तहत होंगे काम

केन्द्र और राज्य क्षेत्र की योजनाओं में मनरेगा के कामों के साथ उपयुक्त सामंजस्य के साथ सिंचाई (Irrigation) और जल संरक्षण क्षेत्रों को शामिल किए जाने के लिए स्वीकृति दे दी गई है. यह सुनिश्चित किया किया जा रहा है कि इन कामों के दौरान सामाजिक दूरी (Social distance) के नियमों का पालन किया जाए साथ ही सभी श्रमिक मास्क लगा कर काम करें.  

 

 

राज्यों को भेजी गई एडवाइजरी

सरकार के ग्रामीण विकास विभाग, जल संसाधन, नदी विकास, गंगा संरक्षण विभाग, भूमि संसाधन विभाग और पेयजल एवं स्वच्छता विभाग की ओर से इस साल आने वाले मॉनसून को ध्यान में रखते हुए  सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के मुख्य सचिवों को जल संरक्षण और पानी को एकत्र करने के प्लान के बारे में बताया गया और उन्हें सुझाव भी दिए गए.  

 

 

अब तक 75 लाख जल स्रोतों को डेवलप किया गया

बीते साल जल शक्ति अभियान का शुभारम्भ केंद्र सरकार ने किया था.  इसके दायरे में पानी के संकट से जूझ रहे देश भर के 256 जिले शामिल थे. यह ‘अभियान’ सभी को जल संरक्षण अभियान के दायरे में लाने के लिए शुरू किया जनांदोलन है और बीते साल इसका देशव्यापी असर पड़ा था. राज्य सरकारों, केन्द्र सरकार, सामाजिक संगठनों, पंचायती राज संस्थानों और समुदायों सहित साढ़े छह करोड़ लोग इस अभियान से जुड़ गए हैं. इस योजना के तहत अब तक 75 लाख पारंपरिक और अन्य जल स्रोत तथा तालाबों को फिर से डेवलप किया गया और लगभग एक करोड़ जल संरक्षण और वर्षा जल संचयन ढांचे तैयार किए गए.