ISRO Agnikul Cosmos News: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने देश में बनी निजी प्रक्षेपण यान की मदद के लिए पहली बार रॉकेट सिस्टम की सप्लाई की है. चेन्नई स्थित अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी स्टार्टअप अग्निकुल कॉसमस (Agnikul Cosmos) ने भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्राधिकरण केंद्र (इन-स्पेस) के सहयोग से अपनी पहली उड़ान टर्मिनेशन प्रणाली (एफटीएस) 7 नवंबर को इसरो से हासिल की. भाषा की खबर के मुताबिक, इन-स्पेस सिंगल विंडो ऑटोनोमस सरकारी एजेंसी है, जो निजी क्षेत्र में अंतरिक्ष-आधारित गतिविधियों को बढ़ावा देने, मंजूरी देने और निगरानी के लिए है.

यह पहली बार है

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खबर के मुताबिकस इसरो ने शुक्रवार को एक बयान में कहा कि आधिकारिक रूप से सौंपने का आयोजन अग्निकुल के प्रक्षेपण यान अग्निबाण पर इन सिस्टम्स के इंटरफेसिंग, हैंडलिंग और इस्तेमाल के बारे में कई दौर की बातचीत की चरम बिंदु को रेखांकित करती है. बयान में कहा गया कि यह पहली बार है कि इसरो के यान के लिए इस्तेमाल की गई प्रणाली को भारत में निर्मित एक निजी प्रक्षेपण यान का सहयोग करने के लिए आपूर्ति की जा रही है. पैकेज का इस्तेमाल उनके पूरी तरह से नियंत्रित सब-ऑर्बिटल लॉन्चर के लिए किया जाएगा, जिसे एसडीएससी शार, श्रीहरिकोटा से प्रक्षेपित किया जाना है.’’

अग्निकुल कॉसमॉस द्वारा विकसित रॉकेट इंजन

अग्निकुल के मुताबिक, अग्निबाण एक बेहद अनुकूलन योग्य, 2-चरणीय प्रक्षेपण यान है. 4 नवंबर को प्रक्षेपण यान के विकास के लिए इसरो के प्रमुख केंद्र, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र (वीएसएससी) ने अग्निकुल कॉसमॉस द्वारा विकसित रॉकेट इंजन के परीक्षण की सुविधा प्रदान की. वीएसएससी ने अपनी वर्टिकल टेस्ट सुविधा, थुम्बा इक्वेटोरियल रॉकेट लॉन्चिंग स्टेशन (टीईआरएलएस), तिरुवनंतपुरम में एग्निलेट इंजन का 15 सेकंड का ‘हॉट टेस्ट’ सफलतापूर्वक आयोजित किया.

दोनों के बीच साइन हुआ है एमओयू

भारतीय अंतरिक्ष स्टार्ट-अप को इन-स्पेस के माध्यम से इसरो की सुविधाओं का उपयोग करने का अवसर प्रदान करने के लिए इसरो और अग्निकुल कॉसमॉस (Agnikul Cosmos) के बीच हस्ताक्षरित एक समझौता ज्ञापन (MoU) के हिस्से के रूप में परीक्षण किया गया था. अग्निलेट 1.4 केएन का सेमी-क्रायोजेनिक इंजन है, जो तरल ऑक्सीजन और विमानन टर्बाइन ईंधन को प्रणोदक के रूप में इस्तेमाल करता है. यह इंजन अत्याधुनिक 3डी प्रिंटिंग तकनीक के माध्यम से बनाया गया है.