ISRO ने chandrayaan 2 के बाद हासिल की ये बड़ी सफलता, मिनटों में स्थापित किए 14 सेटेलाइट
ISRO ने अपनी सफलताओं की लिस्ट में एक और अध्याय जोड़ दिया है. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा (Sriharikota) लॉन्च पैड से बुधवार 27 नवंबर की सुबह 9 बजे भारत के पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) रॉकेट से 14 उपग्रहों को सिर्फ 27 मिनट में अंतरिक्ष (Space) में भेजा.
ISRO ने अपनी सफलताओं की लिस्ट में एक और अध्याय जोड़ दिया है. आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा (Sriharikota) लॉन्च पैड से बुधवार 27 नवंबर की सुबह 9 बजे भारत के पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (PSLV) रॉकेट से 14 उपग्रहों को सिर्फ 27 मिनट में अंतरिक्ष (Space) में भेजा. भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) अपने पीएसएलवी-एक्सएल वेरिएंट के साथ 14 उपग्रहों को अंतरिक्ष में स्थापित करेगा.
अमेरिका के उपग्रह भी भेजे गए
इसमें मुख्यत: भारत का 1,625 किलोग्राम का काटरेसैट -3 उपग्रह होगा, वहीं अमेरिका के 13 नैनो उपग्रह भी इसमें भेजे जाएंगे. अमेरिका इस साझा सवारी के लिए इसरो की नई वाणिज्यिक शाखा- न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड को भुगतान करेगा.
पांच साल तक काम करेगा काटरेसैट-3
पांच साल तक काम करने वाले काटरेसैट-3 उपग्रह को पीएसएलवी रॉकेट सबसे पहले सिर्फ 17 मिनट में कक्षा में स्थापित करेगा. इसरो के अनुसार, काटरेसैट-3 एक तीसरी पीढ़ी का उन्नत उपग्रह है. यह हाई रिजोल्यूशन इमेजिंग की क्षमता रखता है. उपग्रह शहरी नियोजन, ग्रामीण संसाधन और बुनियादी ढांचे के विकास, तटीय भूमि उपयोग और अन्य की मांगों की पूर्ति के लिए तस्वीरें ले सकेगा.
27 मिनट में सभी उपग्रह अपनी कक्षा में पहुंच जाएंगे
भारतीय उपग्रह को स्थापित करने के एक मिनट बाद यह 13 अमेरिकी नैनो उपग्रह में से पहले को इसकी कक्षा में स्थापित करेगा. पीएसएलवी रॉकेट के टेकऑफ करने के 26 मिनट और 50 सेकेंड बाद यह अंतिम उपग्रह को उसकी कक्षा में स्थापित करेगा.
13 वहां उपग्रह कम्यूनिकेशन के लिए है
इसरो के अनुसार, अमेरिकी नैनो उपग्रहों में से 12 को फ्लॉक-4पी के रूप में नामित किया गया है. यह सभी अर्थ ऑब्जर्वेशन सैटेलाइट है. वहीं 13वां उपग्रह एक कम्युनिकेशन टेस्ट बेड सैटेलाइट है, जिसका नाम मेशबेड है.