ISRO PSLV-C56/DS-SAR Mission: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सिंगापुर के सात सैटेलाइटों को ले जा रहे अपने भरोसेमंद पीएसएलवी रॉकेट का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया और इन सैटेलाइटों को उनकी निर्धारित कक्षा में स्थापित किया. इसरो ने बताया कि प्रक्षेपण के करीब 23 मिनट बाद प्रमुख सैटेलाइट रॉकेट से अलग हुआ और उसके बाद छह अन्य सैटेलाइट भी अलग हुए तथा अपनी-अपनी निर्धारित कक्षा में स्थापित हुए. 

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सैटेलाइट को निर्धारित कक्षाओं में सफलतापूर्वक स्थापित करने पर इसरो ने ट्वीट किया, "पीएसएलवी-सी56/डीएस-एसएआर मिशन : मिशन सफलतापूर्वक पूरा हो गया. पीएसएलवी-सी56 प्रक्षेपण यान ने सभी सातों सैटेलाइट को उनकी निर्धारित कक्षाओं में स्थापित किया. इस अनुबंध के लिए न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड और सिंगापुर का शुक्रिया."

 

चंद्रयान 3 के बाद एक और बड़ी उपलब्धि

इस महीने बहुप्रतीक्षित चंद्रयान-3 को प्रक्षेपित करने के बाद यह इसरो की वाणिज्यिक इकाई 'न्यू स्पेस इंडिया लिमिटेड' का एक समर्पित मिशन है. अंतरिक्ष एजेंसी ने बताया कि 360 किलोग्राम वजन वाला डीएस-एसएआर सैटेलाइट डीएसटीए (सिंगापुर सरकार का प्रतिनिधित्व करने वाला) और एसटी इंजीनियरिंग, सिंगापुर के बीच साझेदारी के तहत विकसित किया गया है. 

किस काम आएंगे सैटेलाइट

इस सैटेलाइट का उपयोग सिंगापुर सरकार की विभिन्न एजेंसियों की सैटेलाइट चित्रण आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए किया जाएगा. इसरो ने कहा कि सैटेलाइटों को निर्धारित कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित करने के लिए उसके विश्वसनीय रॉकेट पीएसएलवी ने रविवार के मिशन में 58वीं उड़ान और ‘कोर अलोन कॉन्फ़िगरेशन’ के साथ 17वीं उड़ान को अंजाम दिया. 

क्या है मिशन

स्पेस एजेंसी के मुताबिक 'कोर अलोन कॉन्फ़िगरेशन' रॉकेट का अभिप्राय ऐसे रॉकेट से होता है जो ठोस 'स्ट्रैप ऑन मोटर' का इस्तेमाल पहले चरण में नहीं करता, जैसा कि इससे अन्य संस्करण पीएसएलवी-एक्सएल, क्यूएल और डीएल करते हैं, जो क्रमश: छह, चार या दो बूस्टर का इस्तेमाल करते हैं. 

डीएस-एसएआर में इजराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज द्वारा विकसित सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) लगाया गया है. यह सैटेलाइट को सभी मौसमों में दिन और रात तस्वीर लेने में सक्षम बनाता है. अन्य सैटेलाइटों में वेलोक्स-एएम 23 किलोग्राम का सूक्ष्म सैटेलाइट, एआरसीएडीई (एटमॉस्फेरिक कपलिंग और डायनेमिक्स एक्सप्लोरर), प्रायोगिक सैटेलाइट स्कूब-2, 3यू नैनोसैटेलाइट, गैलासिया-2, ओआरबी-12 स्ट्राइडर शामिल हैं.

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