केंद्र की मोदी सरकार का सारा ध्यान ग्रामीण विकास पर लगा हुआ है. 2022 तक देश के किसानों की आमदनी बढ़ाकर दोगुनी करना और हर गांव में सड़क, शिक्षा और स्वास्थ्य जैसी मूलभूत सुविधाओं से जोड़ने पर पूरा जोर दिया जा रहा है.

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केंद्रीय कृषि और ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का कहना है कि निश्चित ही सरकार की कोशिशों से देश के गांवों की तस्वीर तेजी से बदल रही है.

ज़ी बिजनेस को दिए विशेष इंटरव्यू में उन्होंने कहा कि गांव के हर नौजवान को सशक्त करने के लिए सरकार द्वारा कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. सड़क, बिजली, पक्के मकान, शिक्षा, स्वास्थ्य और रोजगार को लेकर युद्ध स्तर पर काम चल रहा है.

देश के अधिकतर गांवों तक पहुंची सड़क

उन्होंने बताया कि 1.71 लाख गांवों में से 1.66 लाख गांवों को प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना से जोड़े जा चुके हैं. सड़क योजना के दूसरे चरण में 50,000 किलोमीटर सड़कों का निर्माण होना था, जिसमें से 41,000 किलोमीटर की सड़कों के निर्माण की मंजूरी सरकार ने दे दी है और उसमें से भी 29,000 किलोमीटर से अधिक सड़कों का निर्माण हो चुका है. 

 

गांवों को तहसील और जिला मुख्यालयों से जोड़ा जाएगा

उन्होंने कहा कि अब जब गांवों के सड़कों से जोड़ने का काम लगभग पूरा हो चुका है, इसके बाद गांवों को तहसील, अस्पताल, स्कूल और कॉलेज वाले इलाकों से जोड़ने का काम शुरू किया जाएगा. ताकि देश के हर गांव तक शिक्षा, स्वास्थ्य जैसी अच्छी सुविधाएं आसानी से मुहैया हो सकें. इसलिए 5 जुलाई को पेश किए गए बजट में प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना के तीसरे चरण की घोषणा की गई थी. तीसरे चरण में पूरे देश में 1.25 लाख किलोमीटर सड़कें बनाई जाएंगी. और इस काम को 2024-25 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. तीसरे चरण के प्रोजेक्ट के लिए 80,000 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है. 

गांवों में आजीविका और कौशल विकास पर जोर

नरेंद्र सिंह तोमर ने ग्रामीण इलाकों में रोजगार पैदा करने पर जोर देते हुए बताया कि सरकार ग्रामीण इलाकों में आजीविका और कौशल विकास पर तेजी से काम कर रही है. आजीविका योजना के तहत दीनदयाल कौशल विकास योजना काम कर रही है और इस योजना में पिछले 5 सालों में ग्रामीण इलाकों के करीब 8 लाख बच्चों ने ट्रेनिंग ली है. 8 लाख में से 5 लाख बच्चों को रोजगार भी मिल चुका है.

उन्होंने बताया कि इस समय देश में 54 लाख आजीविका समूह काम कर रहे हैं. 5.96 करोड़ महिलाएं इन समूहों से जुड़ी हुई हैं. सरकार इन महिलाओं को पराक्रमी निधि तो देती ही है साथ ही स्वरोजगार के लिए बैंकों से जो़ड़ने का काम भी किया जाता है. 

पिछले 5 सालों में बैंकों ने स्वयं सहायता समूहों को 2.25 हजार करोड़ रुपये का ऋण दिया है. इससे महिलाओं की स्थिति में काफी सुधार हुआ है. महिलाएं 

खत्म हुआ मनरेगा का भ्रष्टाचार

कृषि मंत्री ने बताया कि मनरेगा में भी काफी तेजी से काम चल रहा है. इस साल 267 करोड़ मानव दिवस का सृजन हुआ है, जो अभीतक की मनरेगा की यात्रा में सबसे ज्यादा है. खास बात ये है कि मनरेगा में 99 फीसदी श्रमिकों को उनके बैंक खातों में भुगतान किया जा रहा है. इससे मनरेगा में होने वाले भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है.