आज का दिन भारत के लिए बेहद खास है. आज देश को सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ स्‍वदेशी वैक्‍सीन मिली है. इस वैक्‍सीन को सीरम इंस्‍टीट्यूट ऑफ इंडिया और भारत सरकार के बायोटेक्‍नोलॉजी विभाग ने मिलकर बनाया है. केन्‍द्रीय राज्‍य मंत्री जितेन्‍द्र सिंह ने आज गुरुवार को इस वैक्‍सीन को लॉन्‍च किया. WHO की मानें तो भारत में हर साल 1.23 लाख मामले सर्वाइकल कैंसर के आते हैं. इस मामले में दुनियाभर में भारत का पांचवा स्‍थान है. ऐसे में माना जा रहा है कि ये वैक्‍सीन देश में सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ बहुत बहुत बड़ा हथियार साबित होगी. आइए  जयपुर के एसएमएस हॉस्पिटल के स्‍टेट कैंसर इंस्‍टीट्यूट के मेडिकल सुप्रिटेंडेंट (BMT) और PHOD मेडिकल ऑकोलॉजी, डॉ. संदीप जसूजा से जानते हैं सर्वाइकल कैंसर होता क्‍या है और ये कितना खतरनाक है और सर्वाइकल कैंसर की वैक्‍सीन आने के बाद क्‍या फायदा मिलेगा ?

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क्‍या होता है सर्वाइकल कैंसर

यूट्रस के निचले भाग का हिस्सा सर्विक्‍स यूट्रस कहलाता है जो वजाइना से जुड़ा होता है. सर्वाइकल कैंसर में सर्विक्‍स यूट्रस के सेल्‍स प्रभावित होते हैं. डॉ. संदीप जसूजा की मानें तो सवाईकल कैंसर महिलाओं में होने वाला सेकंड मोस्‍ट कॉमन कैंसर है. ब्रेस्‍ट कैंसर के बाद महिलाओं में सबसे ज्‍यादा मामले इसी के आते हैं. सर्वाइकल कैंसर के दौरान पीरियड्स लंबे समय तक चलना, पीरियड्स के दौरान बहुत ज्‍यादा दर्द, वजाइना से व्‍हाइट डिस्‍चार्ज जैसे लक्षण सामने आते हैं. लक्षण बेहद सामान्‍य होने के कारण ज्‍यादातर महिलाओं को इसका अंदाज नहीं लग पाता.

सर्वाइकल कैंसर की वजह

डॉ. संदीप जसूजा बताते हैं सर्वाइकल कैंसर के 80 से 90 फीसदी मामलों में ह्यूमन पैपिलोमा वायरस (HPV) के 16 और 18 स्‍ट्रेन को जिम्‍मेदार माना जाता है.  HPV एक आम यौन रोग है, जो प्राइवेट पार्ट में मस्‍से के रूप में नजर आता है और धीरे-धीरे ये सर्वाइकल सेल्‍स को कैंसर सेल्‍स में बदल देता है. HPV को सबसे कॉमन सेक्‍शुअली ट्रांसमिटेड डिजीज है. इस कारण ज्‍यादातर महिलाओं में ये समस्‍या पुरुषों से ट्रांसफर होती है. ज्‍यादातर पुरुष  HPV स्‍ट्रेन पॉजिटिव होते हैं. 

10 से 14 साल की लड़कियों में क्‍यों है जरूरी

डॉ. संदीप जसूजा का कहना है कि ये वैक्‍सीन लड़कियों को 10-14 साल की उम्र में ही लगा दी जानी चाहिए क्‍योंकि इस उम्र में लड़कियों में पुरुषों के कॉन्‍टेक्‍ट से HPV स्‍ट्रेन ट्रांसफर होने का रिस्‍क बहुत कम होता है. एक बार अगर फीमेल को HPV इन्‍फेक्‍शन हो गया और बाद में वैक्‍सीन लगाई गई तो फिर ये वैक्‍सीन HPV स्‍ट्रेन के मामले में कोई काम नहीं करेगी. हालांकि HPV के अलावा बाकी स्‍ट्रेन से बचाने के लिए इसे 40 साल तक की उम्र में भी लगवाया जा सकता है. 

कितनी कारगर साबित होगी वैक्‍सीन

डॉ. संदीप जसूजा की मानें तो सर्वाइकल कैंसर के खिलाफ जंग में ये वैक्‍सीन मील का पत्‍थर साबित होगी. स्‍वदेशी होने के कारण ये लोगों को अर्फोडेबल प्राइस पर मिल सकेगी. समय रहते इस वैक्‍सीन को फीमेल्‍स में लगा दिया जाए तो 90 से 95 फीसदी तक सर्वाइकल कैंसर के खतरे को कम किया जा सकता है.