नौसेना को मिली INS Khanderi, इसके हमले से नहीं बच पाएंगे दुश्मन के जहाज
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को आईएनएस खंडेरी (INS Khanderi) को नौसेना को सौंप दिया. नौसेना के बेड़े में इन पनडुब्बी के शामिल होने से नौसेना की ताकत और बढ़ जाएगी. INS Khanderi देश की समुद्री सीमा की सुरक्षा में पूरी तरह से सक्षम है. यह पनडुब्बी समुद्र में किसी भी युद्धपोत को खत्म कर सकती है. वहीं INS Khanderi पानी के अंदर 40 से 45 दिनों तक आसानी से रह सकती है. ये पनडुब्बी एक घंटे में 35 किलोमीटर की दूरी तय करती है.
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने शनिवार को आईएनएस खंडेरी (INS Khanderi) को नौसेना को सौंप दिया. नौसेना के बेड़े में इन पनडुब्बी के शामिल होने से नौसेना की ताकत और बढ़ जाएगी. INS Khanderi देश की समुद्री सीमा की सुरक्षा में पूरी तरह से सक्षम है. यह पनडुब्बी समुद्र में किसी भी युद्धपोत को खत्म कर सकती है. वहीं INS Khanderi पानी के अंदर 40 से 45 दिनों तक आसानी से रह सकती है. ये पनडुब्बी एक घंटे में 35 किलोमीटर की दूरी तय करती है.
300 किलोमीटर दूर दुश्मन जहाज होगा खत्म
INS Khanderi भारत की स्कार्पियन-वर्ग की दूसरी मारक पनडुब्बी है. इसमें पी-17 शिवालिक वर्ग के युद्धपोत के साथ नौसेना में शामिल किया गया. ये पनडुब्बी काफी आधुनिक है. इसकी क्षमता 300 किलोमीटर दूर स्थित दुश्मन के जहाज को पूरी तरह से खत्म करने की है. समुद्र की गहराई में दो साल के परीक्षण के बाद खंडेरी को नौसेना को सौंपा गया है.
एक खतरनाक मछली से प्रेरणा लेकर बनाया गया
इस पनडुब्बी (Submarine) को स्वोर्ड टूथ फिश (मछली की एक प्रजाति) से प्रेरणा ले कर डिजाइन किया गया है. यह मछली गहरे समुद्र में रहती है. इसका अगला हिस्सा तलवार की तरह होता है और ये शिकार करने में काफी माहिर होती है. वहीं वॉरशिप ‘नीलगिरी’ (Warship Nilgiri) को नौसेना को सौंप जाने के मौके पर रक्षा मंत्री ने कहा, ‘भारत बड़ा देश है हमारे पास करीब 7500 किमी तक फैला तटीय इलाका है. ऐसे में हमें अपनी नौसेना को हर मुश्किल से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार रखना है. इसके लिए कई प्रयास हो रहे हैं.
देश में उत्पादन का रखा गया लक्ष्य
भारत में रक्षा क्षेत्र को मजबूत करने के लिए वॉरशिप बनाया जाना एक बेहतर फैसला है. भारत अब उन देशों में से है जहां सबमरीन और युद्ध करने वाले जहाज दोनों बनते हैं. इस मौके पर रक्षा मंत्री ने कहा कि हमारा लक्ष्य है कि वर्ष 2027 तक हम 70 फीसद रक्षा उत्पादन अपने देश में करें.