अनिल सिंघवी की FDI मुहिम, सरकार के एक्शन पर एक्सपर्ट्स का थम्स-अप, बोले- चीन का एतराज बेबुनियाद
FDI in India: भारत में चीन के दूतावास के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा था कि नए नियम डब्ल्यूटीओ (World Trade Organization) के प्रिंसिपल्स और फ्री ट्रेड के सामान्य चलन के खिलाफ हैं.
भारत में फॉरेन डायरेक्ट इन्वेस्टमेंट (FDI) के नियमों में ताजा करेक्शन पर चीन की आपत्तियों को एक्सपर्ट ने खारिज कर दिया है. उनका कहना है कि इस समय जो आर्थिक संकट है, उसमें अपने उद्योगों को बचाना किसी भी देश के अधिकार क्षेत्र में आता है और भारत ने डब्ल्यूटीओ (WTO) का कोई उल्लंघन नहीं किया है. जी बिजनेस (Zee Business) के मैनेजिंग एडिटर अनिल सिंघवी (Anil Singhvi) ने भी सोमवार को सरकार के इस फैसले को सही दिशा में उठाया गया बेहतरीन कदम बताया था. साथ ही उन्होंने इसके लिए सरकार और SEBI को बधाई भी दी थी. सिंघवी ने कहा था कि सरकार ने बहुत ही तेजी से फैसला लिया जो देश के लिए बेहद जरूरी था. बता दें, सरकार ने सोमवार को चीन समेत पड़ोसी देशों से आने वाले सभी FDI पर मंजूरी जरूरी कर दिया है.
इसस पहले भारत में चीन के दूतावास के प्रवक्ता ने सोमवार को कहा था कि नए नियम डब्ल्यूटीओ (World Trade Organization) के प्रिंसिपल्स और फ्री ट्रेड के सामान्य चलन के खिलाफ हैं. दिल्ली के जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) के इकोनॉमिक्स डिपार्टमेंट के प्रोफेसर विश्वजित धर ने कहा कि डब्ल्यूटीओ में एफडीआई को लेकर कोई समझौता हुआ ही नहीं है. पीटीआई की खबर के मुताबिक, इस संगठन के नियम निवेश संबंधी मुद्दों पर लागू नहीं होते. इस लिए भारत अपने उद्योगों के हित में ऐसे फैसले करने का पूरा अधिकार रखता है.
धर ने कहा कि निवेशकों के बारे में डब्ल्यूटीओं में जो भी नियम हैं, एक्सपोर्ट और और इम्पोर्ट से जुड़े हैं. इस संबंध में उन्होंनें एक्सपोर्ट में लोकल सामान की शर्त का उदाहरण दिया. भारतीय विदेश व्यापार संस्थान (IIFT) के प्रोफेसर राकेश मोहन जोशी ने कहा कि भारत खुद ही आपनी एफडीआई पॉलिसी को सॉफ्ट करता रहा है. अपने उद्योग को बचाने का कोई फैसला डब्ल्यूटीओ के दायरे में नहीं आता.
जोशी ने कहा यह संकट का समय है इसमें भारत को अपने उद्योग को बचाने का फैसला करने की जरूरत है. फिंडाक समूह के वरिष्ठ निवेश सलाहकार सुमित कोचर ने कहा कि भारत सरकार का यह नीतिगत फैसला जवाबी है क्योंकि चीन के केंद्रीय बैंक ने इससे पहले भारत की वित्तीय सेवा कंपनी हाउसिंग डेवलपमेंट फाइनेंस कार्पोरेशन (HDFC) में अपनी हिस्सेदारी बढ़ाकर एक प्रतिशत से कुछ अधिक कर ली है.
उन्होंने कहा कि नए नियमों से चीनी निवेशकों पर भारतीय कंपनियों के शेयर आगे किसी भी समय खरीदने में एक रुकावट आ सकती है. इससे भारत में भाविष्य में विदेशी निवेश प्रभावित हो सकता है.
(रॉयटर्स)
सरकार ने शनिवार को एफडीआई नियमों में करेक्शन कर भारत की थल सीमा से जुड़े देशों से प्रत्यक्ष या परोक्ष तरीके से निवेश के हर प्रस्ताव पर पहले सरकार की अनुमति लेना जरूरी कर दिया है. यह फैसला कोविड-19 से पैदा हालात में भारतीय कंपनियों को मौका परस्त अधिग्रहण के प्रयासों से बचाना है.
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भारत ने कुछ एक प्रतिबंधित सेक्टर को छोड़कर बाकी उद्योगों में निवेश को ऑटोमैटिक रूट से खोल दिया है. इस रूट से विदेशी निवेशक को सरकार के किसी विभाग से अनुमति लेने के बजाय केवल भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) निवेश की सूचना देने मात्र की जरूरत होती है ताकि निवेश आसान हो.