India defence export: भारत हथियार का बहुत बड़ा आयातक है. हर साल हजारों-लाखों करोड़ का हथियार टआयात किया जाता है. स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टिट्यूट SIPRI की रिपोर्ट के मुताबिक, 2016 से 2020 के बीच भारत ने ने 331.8 बिलियन डॉलर का मिलिट्री इंपोर्ट किया. रुपए में यह राशि 26 लाख करोड़ से ज्यादा है.  यह देश की जीडीपी का 2.6 फीसदी है. मोदी सरकार ने इतने भारी भरकम इंपोर्ट बिल पर संज्ञान लिया और डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग पर फोकस किया. इसी का नतीजा है कि बीते पांच वर्षों में भारत के डिफेंस निर्यात में 334 फीसदी का बंपर उछाल आया है. भारत में निर्मित हथियार 75 देशों को निर्यात किया जा रहा है.

बीते वित्त वर्ष 13 हजार करोड़ का डिफेंस एक्सपोर्ट

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जुलाई के महीने में डिफेंस मिनिस्ट्री ने कहा था कि वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट 13 हजार करोड़ रुपए का रहा था. सालाना आधार पर इसमें 54 फीसदी की तेजी दर्ज की गई. भारत अमेरिका, फिलिपीन्स, अफ्रीका, साउथ-ईस्ट एशिया के दर्जनों देशों को हथियार निर्यात कर रहा है. डिपार्टमेंट ऑफ डिफेंस प्रोडक्शन के एडिशनल सेक्रेटरी संजय जाजू ने कहा था कि पांच सालों में भारत का निर्यात करीब आठ गुना बढ़ा है. मोदी सरकार जब सत्ता में आई थी तब 2015-16 में भारत का डिफेंस एक्सपोर्ट महज 2059 करोड़ रुपए का था. वैसे डिफेंस एक्सपोर्ट में प्राइवेट सेक्टर कंपनियों का बड़ा योगदान है. उनका मार्केट शेयर 90 फीसदी के करीब है.

स्वदेशी निर्मित INS Vikrant को सेवा में उतारा गया है

मेक इन इंडिया प्रोग्राम को आज आठ साल पूरा हो चुका है. पीआईबी इंडिया के ट्विटर हैंडल पर इस ट्वीट के साथ एक पोस्टर भी साझा किया गया जिसमें कुछ आंकड़े प्रस्तुत किया गए हैं. इसमें कहा गया है कि भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत को कोच्चि में सेवा में उतारा गया है.

न्यूक्लियर कैपेबल मिसाइल Agni-P का सफल परीक्षण 

इसके अलावा स्वदेशी निर्मित एडवांस्ड लाइट हेलिकॉप्टर MK3 स्क्वॉड्रन को भी इंडियन कोस्ट गार्ड ने अपनी सेवा में शामिल किया है. लेजर गाइडेड ATGM का भी सफल परीक्षण किया गया है. न्यूक्लियर कैपेबल बैलिस्टिक मिसाइल Agni-P का भी सफल परीक्षण किया गया है.

डिफेंस प्रोडक्शन में टॉप-5 में शामिल होने का लक्ष्य

रक्षा सचिव अजय कुमार ने कुछ दिनों पहले एक कार्यक्रम में कहा था कि ‘मेक इन इंडिया’ पहल की ताकत का इस्तेमाल रक्षा क्षेत्र में करने के प्रयास किए जा रहे हैं और अमृत काल की कल्पना देश को रक्षा उत्पादन के मामले में वैश्विक स्तर पर शीर्ष पांच देशों के बीच देखने की है. उन्होंने कहा था कि बीते 75 वर्ष में भारत दुनिया में रक्षा उत्पादों के सबसे बड़े आयातकों में से एक रहा है और सरकार इस स्थिति को बदलना चाहती है.

(भाषा इनपुट के साथ)