मोदी सरकार में एनर्जी के मामले में भारत तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है. कोयला मंत्रालय की तरफ से जारी बयान के मुताबिक, 2004-05 से 2013-14 के बीच कोल इंपोर्ट का सालाना औसत ग्रोथ यानी CAGR 21.48 फीसदी था. 2014 में नरेंद्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बने. उसके बाद 2014-15 से 2023-24 तक कोल इंपोर्ट का सालाना औसत ग्रोथ घटकर 2.49 फीसदी पर आ गया है. मतलब साफ है कि एनर्जी जरूरतों को लेकर भारत तेजी से आत्मनिर्भर बन रहा है.

उर्जा के मामले में आत्मनिर्भरता पर फोकस

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कोयला मंत्रालय की तरफ जारी बयान में यह भी कहा गया कि वित्त वर्ष 2004-05 से 2013-14 की अवधि के दौरान इंपोर्टेड कोल की हिस्सेदारी का सीएजीआर 13.94 फीसदी था. जबकि, पिछले दशक के दौरान यह आंकड़ा गिरकर शून्य से नीचे लगभग 2.29 फीसदी हो गया.” मंत्रालय ने बयान में कहा कि घरेलू कोयला संसाधनों के अनुकूलन और नवीन तकनीकी समाधानों का लाभ उठाने पर रणनीतिक ध्यान केंद्रित करते हुए देश ऊर्जा सुरक्षा में आत्मनिर्भरता की ओर अपनी यात्रा जारी रख रहा है. 

Coal India दुनिया की सबसे बड़ी कोल प्रोड्यूसर

बता दें कि भारत दुनिया में पांचवां सबसे बड़ा कोल रिजर्व वाला देश है. यह दुनिया में जीवाश्म ईंधन का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है. कोल इंडिया देश और दुनिया की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक है. 1 अप्रैवल 2023 के आधार पर यह 322 माइन्स का संचालन करती है. हाल ही में कंपनी ने कहा कि वह खाली खदानों में प्राइवेट प्लेयर्स की मदद से खुदाई शुरू करवाएगी.

(भाषा इनपुट के साथ)