Independence Day 2022: रत इस 15 अगस्त को आजादी का 75वां साल पूरा करने जा रहा है. इस मौके पर देश इस साल आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा है. आजादी की गाथा में कुछ महापुरुषों ने भारत पर कविता लिखी है जो बेहद अर्थपूर्ण हैं. यहां हम रवीन्द्रनाथ टैगोर (Rabindranath Tagore), स्‍वामी योगानंद परमहंस और सरोजिनी नायडू (Sarojini Naidu) के द्वारा लिखी खास कविताओं (poem on india in hindi)पर गौर करते हैं जो बेहद मशहूर रहे हैं. ये वो कविताएं हैं जिन्हें पढ़कर आपको गर्व होगा और शायद आप खुद में विचार करने लग जाएं.

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"गीतांजलि" 

"मन जहां डर से परे है

और सिर जहां ऊंचा है;

ज्ञान जहां मुक्‍त है;

और जहां दुनिया को

संकीर्ण घरेलू दीवारों से

छोटे छोटे टुकड़ों में बांटा नहीं गया है;

जहां शब्‍द सच की गहराइयों से निकलते हैं;

जहां थकी हुई प्रयासरत बांहें

त्रुटि हीनता की तलाश में हैं;

जहां कारण की स्‍पष्‍ट धारा है

जो सुनसान रेतीले मृत आदत के

वीराने में अपना रास्‍ता खो नहीं चुकी है;

जहां मन हमेशा व्‍यापक होते विचार और सक्रियता में

तुम्‍हारे जरिए आगे चलता है

और आजादी के स्‍वर्ग में पहुंच जाता है

ओ पिता मेरे देश को जागृत बनाओ".

- रवीन्द्रनाथ टैगोर

"मेरा भारत"

स्‍वर्ग या तोरण पथ से बेहतर

मैं तुम्‍हें प्‍यार करता हूं, ओ मेरे भारत

और मैं उन सभी को प्‍यार करुंगा

मेरे सभी भाई जो राष्‍ट्र में रहते हैं

ईश्‍वर ने पृथ्‍वी बनाई;

मनुष्‍य ने देशों की सीमाएं बनाई

और तरह तरह की सुंदर सीमा रेखाएं खींचीं

परन्‍तु अप्राप्‍त सीमाहीन प्रेम

मैं अपने भारत देश के लिए रखता हूं

इसे दुनिया में फैलाना है

धर्मों की माँ, कमल, पवित्र सुंदरता और मनीषी

उनके विशाल द्वार खुले हैं

वे सभी आयु के ईश्‍वर के सच्‍चे पुत्रों का स्‍वागत करते हैं

जहां गंगा, काष्‍ठ, हिमालय की गुफाएं और

मनुष्‍यों के सपने में रहने वाले भगवान

मैं खोखला हूं; मेरे शरीर ने उस तृण भूमि को छुआ है

- स्‍वामी योगानंद परमहंस

'भारत का उपहार " 

क्‍या यह जरूरी है कि मेरे हाथों में

अनाज या सोने या परिधानों के महंगे उपहार हों?

ओ ! मैंने पूर्व और पश्चिम की दिशाएं छानी हैं

मेरे शरीर पर अमूल्‍य आभूषण रहे हैं

और इनसे मेरे टूटे गर्भ से अनेक बच्‍चों ने जन्‍म लिया है

कर्तव्‍य के मार्ग पर और सर्वनाश की छाया में

ये कब्रों में लगे मोतियों जैसे जमा हो गए।

वे पर्शियन तरंगों पर सोए हुए मौन हैं,

वे मिश्र की रेत पर फैले शंखों जैसे हैं,

वे पीले धनुष और बहादुर टूटे हाथों के साथ हैं

वे अचानक पैदा हो गए फूलों जैसे खिले हैं

वे फ्रांस के रक्‍त रंजित दलदलों में फंसे हैं

क्‍या मेरे आंसुओं के दर्द को तुम माप सकते हो

या मेरी घड़ी की दिशा को समझ करते हो

या मेरे हृदय की टूटन में शामिल गर्व को देख सकते हो

और उस आशा को, जो प्रार्थना की वेदना में शामिल है?

और मुझे दिखाई देने वाले दूरदराज के उदास भव्‍य दृश्‍य को

जो विजय के क्षति ग्रस्‍त लाल पर्दों पर लिखे हैं?

जब घृणा का आतंक और नाद समाप्‍त होगा

और जीवन शांति की धुरी पर एक नए रूप में चल पड़ेगा,

और तुम्‍हारा प्‍यार यादगार भरे धन्‍यवाद देगा,

उन कॉमरेड को जो बहादुरी से संघर्ष करते रहे,

मेरे शहीद बेटों के खून को याद रखना!

द गिफ्ट ऑफ इंडिया

- सरोजिनी नायडू