इन दिनों अचानक मौसम में आए बदलाव से शहरी भारत बहुत खुश है. अप्रैल में तपती धूप और भीषण की जगह गुलाब ठंडक और खुशनुमा हवाओं को पाकर कौन नहीं खुश होगा. लेकिन ग्रामीण भारत के किसान और मौसम वैज्ञानिक इसे एक बड़े संकट की आहट मान रहे हैं. मौसम में ये बदलाव अननीनो (El Nino) इफेक्ट के चलते है. इस वजह से राजस्‍थान, गुजरात और मध्‍य प्रदेश में आंधी-तूफान से 31 लोगों की मौत होने की खबर है. फसलों को भारी नुकसान हुआ है. लेकिन अभी अधिक बड़ा संकट आने वाला है. प्राइवेट एजेंसी स्काईमेट वेदर ने कहा है कि मानसन 2019 (Monsoon 2019) पर अलनीनो (El Nino) का प्रभाव उम्मीद से ज्यादा बुरा हो सकता है. ये आशंका सही साबित हुई तो हम 2019 में एक बार फिर सूखे की ओर बढ़ रहे हैं.

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स्काईमेट वेदर ने कहा है कि अलनीनो का प्रभाव पिछले सप्ताह से दिखने लगा है. अलनीनो दशाओं का प्रभाव गर्मी मे दौरान 60% से ऊपर रहने का अनुमान है और मानसून के महीनों में इसका प्रभाव कुछ कम होगा, लेकिन ये 50% के स्तर से ऊपर बना रहेगा.

स्काईमेट ने कहा है कि ज्यादा चिंता की बात अलनीनो की प्रकृति को लेकर है. इस बार अलनीनो की प्रकृति मोदोकी अलनीनो (Modoki El Nino) की तरह लग रही है. ये एक दुर्लभ घटना है, जिसमें सिर्फ प्रशांत महासागर का केंद्रीय हिस्सा गर्म होता है, जबकि बाकी क्षेत्र तुलनात्मक रूप से ठंडे रहते हैं. ऐसे में केंद्रीय प्रशांत से गर्म हवाएं उठकर पश्चिमी प्रशांत की ओर बहने लगती हैं, जो दक्षिण एशिया के नजदीक है. जब तक इन हवाओं का प्रभाव भारत पर रहेगा, वे मानसून की बारिश को कम कर सकती हैं.

गर्मी में अलनीनो का प्रभाव हमें एक खुशनुमा मौसम के रूप में दिखाई देता है, लेकिन मानसून शुरू होते ही ये हमारे लिए एक भयानक त्रासदी के रूप में बदल जाता है, क्योंकि हमारी बहुत बड़ी आबादी का पूरा जीवन, हमारी अर्थव्यवस्था का बहुत बड़ा हिस्सा मानसून पर टिका है. 

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अलनीनों की दुर्लभ प्रकृति के चलते स्काईमेट का अनुमान है इस बार अलनीनो का प्रभाव उम्मीद से अधिक बुरा हो सकता है. हालांकि कुछ दिन पहले भारतीय मौसम विभाग ने कहा था कि मानसून आने तक अलनीनों का प्रभाव कम हो जाएगा और मानसून सामान्य के आसपास रहेगा.