आईएलएंडएफएस वित्तीय संकट मामले में कंपनी के पूर्व प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी निदेशक यानी CEO रमेश बावा को दिल्ली से शुक्रवार की आधी रात को गिरफ्तार किए गए हैं. बावा को कॉर्पोरेट धोखाधड़ी जांच एजेंसी एसएफआईओ यानी सीरियस फ्रॉड इन्वेस्टिगेशन ऑफिस ने राष्ट्रीय राजधानी से गिरफ्तार किया है. कहा जा रहा है कि जांच एजेंसी को इस गिरफ्तारी के रूप में बड़ी कामयाबी मिली है. बावा को उनके दोस्त के घर से आधी रात को गिरफ्तार किया गया.

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जांच एजेंसी एसएफआईओ अयोग्य कंपनियों को लोन देने के मामले में रमेश बावा की भूमिका की जांच कर रही है. हमारी सहयोगी जी बिज़नेस टीवी चैनल की खबर के मुताबिक, बावा को पहले कई बार से समन भेजा जा रहा था. वो बार-बार बचने की कोशिश कर रहा था.

रिपोर्ट के मुताबिक यह भी कहा जा रहा है कि हाल में इनका मोबाइल नंबर भी बदल गया था. जांच एजेंसी एसएफआईओ की टीम जब उनके घर जाती थी तो कहा जाता था कि वो घर पर नहीं हैं. परिवार वालों का कहना था कि उन्हें नहीं पता कि वह कहां हैं.

हाल में एसएफआईओ की टीम इस मामले में ज्यादा सक्रिय हो गई थी जिसका नतीजा ही रहा कि रमेश बावा गिरफ्तार हो गए हैं. दअसल मामला ये है कि अब तक जो जांच हुई है और ऑडिटर्स ने भी अपने जांच में पाया है कि आईएलएंडएफएस ने वैसे कंपनियों को लोन दिया है जो इसके लिए योग्य नहीं थे.

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आज हालात ये हैं कि उन कंपनियां से लोन की वसूली करना मुश्किल हो गया है. ताजा आंकड़ों की मानें को IL&FS की तरफ से बांटे गए लोन का करीब 90 फीसदी हिस्सा ग्रोस एनपीए में तब्दील हो चुका है. ऐसे में यह देखा जा रहा है कि वर्तमान प्रबंधन से इतनी राशि की वसूली हो पाना संभव नहीं दिख रहा.

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एसएफआईओ रमेश बावा की भूमिका जांच इस मामले में कर रही है. इस सिलसिले में अब एजेंसी बावा से पूछताछ कर रही है. आपको बता दें इस बीच रमेश बावा ने गिरफ्तारी से बचने के लिए सुप्रीम कोर्ट में अर्जी भी डाल दी थी, लेकिन सर्वोच्च अदालत से कोई राहत नहीं मिली.

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इसके बाद से ही रमेश बावा को मोबाइल नंबर पहुंच से बाहर बताने लगा यानी उन्होंने अपना नंबर बदल लिया. बावा को कंपनी अधिनियम की धारा 447 के तहत गिरफ्तार किया गया है जो धोखाधड़ी के लिए गिरफ्तारी करने के लिए कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय की जांच शाखा को सक्षम बनाता है.