IL&FS केस में कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय को बड़ी कामयाबी मिली है. अब IL&FS केस में ऑडिट फर्म्स डिलॉयट और बीएसआर एसोसिएट्स को पार्टी बनना होगा. यानी IL&FS के मुख्य केस में NCLT में दोनों ऑडिटर्स के खिलाफ भी सुनवाई होगी. सुनवाई पूरी होने पर ही NCLT ये फैसला लेगा कि रोक लगाई जाए या नहीं. कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय की ओर से दोनों ही ऑडिटर्स पर कंपनीज़ एक्ट के सेक्शन 140 (5) के तहत पांच साल तक ऑडिट के कामकाज पर रोक लगाने की मांग की थी. दोनों ही ऑडिट फर्म्स IL&FS फाइनेंशियल सर्विसेज़ की ऑडिटर थीं.

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हालांकि, दोनों ही ऑडिट फर्म्स शुरू से ही ये कहती रही हैं कि उन्होंने कुछ गलत नहीं किया और ICAI के तहत तय नियमों के तहत काम किया. ऑडिट फर्म्स इस को लेकर भी सवाल खड़ा करती रही हैं कि उन पर रोक नहीं लगाया जा सकता. क्योंकि कंपनीज़ एक्ट के तहत रोक का नियम केवल मौजूदा ऑडिटर्स पर होता है. जबकि, दोनों पहले ही ऑडिटर पद छोड़ चुके हैं. ऑडिटर्स ने SFIO की रिपोर्ट को आधार बनाकर उन्हें मामले में पार्टी बनाने का भी विरोध किया था.

दलील थी कि क्योंकि SFIO की कार्रवाही को लेकर भी कोर्ट का अंतिम फैसला आना बाकी है. ऑडिटर्स की ओर से ये भी कहा गया कि जिस सेक्शन 241 के तहत IL&FS के खिलाफ मुख्य केस दायर किया गया है. उसमें प्रबंधन पर मिस मैनेजमेंट और माइनॉरिटी शेयरहोल्डर्स के हितों के खिलाफ काम करने की बात कही गई है. लेकिन ऑडिटर्स किसी भी लिहाज़ से मैनेजमेंट की कैटेगरी में नहीं आते हैं. 

लेकिन NCLT ने ऑडिटर्स की दलीलों में दम नहीं पाया. NCLT ने दोनों ऑडिट फर्म्स के अलावा ILFS से जुड़े उनके पार्टनर्स, दूसरे ऑडिटर्स, कई इंडिपेंडेंट डायरेक्टर्स और IL&FS ग्रुप से जुड़े कई अधिकारियों को भी मामले में पक्षकार बनाने की इजाज़त दे दी है.

मुख्य केस में कुल 321 लोगों को पार्टी बनाया गया था अब 23 और लोग मामले में पार्टी बनेंगे. जिसमें डिलॉयट, बीएसआर एंड एसोसिएट्स, डिलॉयट के पूर्व CEO उदयन सेन, CA कल्पेश मेहता, एन संपत गणेश, IL&FS ग्रुप के पूर्व अधिकारी राजेश कोटियन, मिलिंद पटेल, शहजाद दलाल, मनु कोचर आदि के नाम हैं. जबकि PNB के पूर्व CMD और IL&FS ग्रुप में इंडिपेंडेंट डायरेक्टर रहे सुरिंदर सिंह कोहली, और पूर्व बैंकर शुभलक्ष्मी पनसे को भी पार्टी बनाया गया है. शिवा ग्रुप के प्रमुख सी शिवशंकरन को भी इस मामले में पार्टी बनाया गया है. लोन यूटिलाइज़ेशन से जुड़ा सर्टिफिकेट देने वाले चार्टर्ड अकाउंटेंट एपी शाह भी इस मामले में पक्षकार बनाए गए हैं.

NCLT में इस केस में आगे की कार्रवाई के लिए कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय ने एक और अर्ज़ी दे रखी है. जिस पर ऑडिट फर्म्स की ओर से दलील दी जा रही है. कॉरपोरेट अफेयर्स मंत्रालय की अर्ज़ी में मांग है कि मुख्य केस के आरोपियों की तरह ही ऑडिट फर्म्स, ऑडिट पार्टनर्स और दूसरे लोगों के बैंक खाते फ्रीज़ हों. अन्य संपत्तियां भी फ्रीज़ की जाएं और दूसरे प्रतिबंध लागू हों.

IL&FS में गड़बड़ियों को देखते हुए सरकार ने बीते साल एक अक्टूबर को कंपनी का मैनेजमेंट बदल दिया था. IL&FS के पूर्व मैनेजमेंट के खिलाफ SFIO और ED जैसी जांच एजेंसियां जांच कर रही हैं. IL&FS पर कुल मिलाकर करीब 90 हज़ार करोड़ रुपए दी देनदारी है. आरोप है कि ऑडिटर्स, रेटिंग एजेंसियों ने मैनेजमेंट के साथ मिलकर कंपनी की आर्थिक स्थिति को छुपाए रखा और असली तस्वीर नहीं आने दी। ऑडिटर्स की रिपोर्ट पर भरोसा कर निवेशकों ने कंपनी में पैसे लगाए जो कि डूबने के कगार पर पहुंच गए.