Car Air Purifier Innovation: दिल्ली की प्रदूषित हवा में लोगों का सांस लेना दूभर हो गया है. इस वजह से कुछ पाबंदियां लगाई गई थी. इसके बाद भी प्रदूषण में कोई कमी नहीं दिखाई दी. इसी बीच आईआईटी से पढ़े अमित भटनागर ने 'शुद्ध वायु' नाम का एक ऐसा सिस्टम तैयार किया है जिसे आईआईटी के वैज्ञानिकों ने सौ फीसदी कारगर बताया है.  इस सिस्टम को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी क्लीन चिट दे दी है. दिल्ली की कुछ गाड़ियों में ये आइटम लगाया गया है जिससे आप जितना कार चलाएंगे, उतनी ही प्रदूषित हवा साफ होगी. तो चलिए जानते हैं क्या है वे डिवाइस. IIT के अमित भटनागर ने बनाया डिवाइस आईआईटी से पढ़े अमित भटनागर ने शुद्ध वायु नाम का एक ऐसा सिस्टम तैयार किया है जिसे आईआईटी के वैज्ञानिकों ने सौ फीसदी कारगर बताया है. इस सिस्टम को विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय ने भी क्लीन चिट दे दी है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण कंट्रोल बोर्ड ने भी इस सिस्टम को कारगर बताया है. अब इंतज़ार इस बात का है कि इसे पब्लिक ट्रांसपोर्ट का हिस्सा बनाया जाए. मुंबई ने मंगाए 100 एयर प्यूरीफायर दिल्ली की कुछ गाड़ियों में एक ऐसा डिवाइस लग चुका है, जिससे उस कार से प्रदूषित हवा शुद्ध हवा में बदल जाएगी. जिसका मतलब है कि जिस कार से प्रदूषण होता है, उससे कार प्रदूषित हवा को साफ करेगी. इससे दिल्ली समेत किसी भी शहर की हवा को साफ किया जा सकता है. मुंबई ने इस साल रिकॉर्ड तोड़ प्रदूषण के बाद बेस्ट बसों के लिए 100 एयर प्यूरीफायर मंगवाए हैं जो जल्द ही मुंबई की हवा साफ करने का काम करेंगे. पश्चिम बंगाल ने कई बसों पर यह सिस्टम लगाया है. मुंबई ने बेस्ट बसों के लिए 100 एयर प्यूरीफायर सिस्टम मंगाए हैं. ये कार से निकलने वाली हवा को साफ करता है. तो चलिए जानते हैं कि वे काम कैसे करता है. ऐसे काम करेगा एयर प्यूरीफायर किसी भी साधारण कार के ऊपर ये हेपा फिल्टर लगा हुआ एयर प्यूरीफिकेशन सिस्टम लगाया जा सकता है. पूरी तरह से डिटैचेबल ये सिस्टम कार के चलते ही अपना काम करने लगता है. इसे बनाने वालों का दावा है कि एयर क्वालिटी इंडेक्स 450 हो तो 50 किलोमीटर प्रतिघंटा की स्पीड पर चलती हुई कार अपने आसपास के प्रदूषण को 450 से घटाकर शून्य कर सकती है.  6000 किलोमीटर तक बिना रुके करेगा काम एक बार में 6000 किलोमीटर तक ये सिस्टम बिना रुके काम कर सकता है. हालांकि ये इस बात पर भी निर्भर करेगा कि हवा में कितना प्रदूषण भरा हुआ है और सड़कों पर ऐसे सिस्टम वाली कितनी गाड़ियां दौड़ रही हैं. सड़क पर दौड़ रही गाड़ी को हवा की जो स्पीड मिलती है - उसी का इस्तेमाल करते हुए ये फिल्टर हवा में मौजूद धूल के बारीक PM 2.5 कणों को सोख लेता है. कई जगहों पर टेस्ट किया गया सिस्टम इस सिस्टम को आईआईटी के रिसर्चरों ने महरौली गुड़गांव रोड और नेशनल हाईवे 8 पर एक महीने तक टेस्ट किया. गाड़ी पर लगे फिल्टर ने प्रदूषण को कम करने का काम किया. चेक करने के लिए एक फिल्ट्रेशन सिस्टम को सड़क पर लगाकर भी छोड़ा गया. लेकिन ये पाया गया कि ये सिस्टम चलती गाड़ी से मिल रही हवा की रफ्तार के साथ कारगर हो रहा है. पश्चिम बंगाल के कई बसों पर लगाया गया सिस्टम लेकिन दिल्ली का प्रदूषण साफ करने में ये तकनीक तभी कामयाब हो सकती है जब दिल्ली के 30 फीसदी वाहनों पर ये सिस्टम काम कर रहा हो. इस सिस्टम बनाने वालों की कोशिश है कि सरकार इसे सार्वजनिक परिवहन जैसे बसों या ओला उबर के लिए ज़रूरी बनाए जिससे दमघोंटू हवा साफ हो सके.फिलहाल इसे पश्चिम बंगाल सरकार ने 20 बसों पर पायलट प्रोजेक्ट के तहत लगाया है. इतना आएगा खर्च

हमने इस सिस्टम को पॉल्यूशन मीटर लगाकर चेक किया. 400 से ऊपर का एयर क्वालिटी इंडेक्स घटकर नीचे आ गया और 10 से कम रह गया. साधारण कार पर ये सिस्टम 10 हज़ार रुपए में लगाया जा सकता है. एक बार लगाने के बाद साधारण प्रदूषण की हालत में ये सिस्टम 6 हज़ार किलोमीटर तक बिना मेंटेनेंस के काम कर सकता है. उसके बाद फिल्टर को साफ करने और बदलने की जरुरत पड़ सकती है जिसका खर्च तकरीबन 1 हज़ार रुपए आ सकता है. दिल्ली की दमघोंटू हवा को देखते हुए एक कार के लिए 10 हज़ार की लागत ज्यादा नहीं लगती.हालांकि ये टेक्नीक तभी बेहतर नतीजे दिखा सकती है जब ज्यादा से ज्यादा गाड़ियां इस प्यूरीफायर के साथ सड़कों पर दौड़ रही हों.