एग्रीकल्चर प्रोडक्ट मंगाना हुआ आसान, SBI और IFFCO में हुआ ये समझौता
इफको की ई-कॉमर्स यूनिट इफको बाजार www.iffcobazar.in ने एसबीआई योनो कृषि के साथ मिलकर काम करने का ऐलान किया है.
इफको की ई-कॉमर्स यूनिट इफको बाजार www.iffcobazar.in ने एसबीआई योनो कृषि के साथ मिलकर काम करने का ऐलान किया है. एसबीआई योनो किसानों की जरूरतें पूरी करने वाला एक पोर्टल है. इस साझेदारी के जरिये भारत के लाखों किसानों तक अलग अलग तरह के एग्रीकल्चर प्रोडक्ट पहुंच सकेंगे. एसबीआई योनो के पेमेंट पोर्टल और इफको के क्वालिटी एग्रीकल्चर प्रोडक्ट मिलकर इस क्षेत्र में डिजिटल बिक्री को बढ़ाने में कारगर भूमिका अदा करेंगे.
इफको बाजार www.iffcobazar.in ई कॉमर्स ई कॉमर्स पोर्टल है जिसे देश की सबसे बड़ी उर्वरक उत्पादक कंपनी इफको द्वारा शुरू किया गया है. यह पोर्टल 12 भारतीय भाषाओं में उपलब्ध है तथा पूरे देश में उत्पादों की घर बैठे आपूर्ति सुनिश्चित करता है. देश के 26 राज्यों में स्थित अपने 12 सौ से अधिक स्टोर्स के जरिए भी काम करता है. खास तरह के फर्टलाइजर, जैविक कृषि उत्पाद, बीज, कृषि रसायन, कृषि मशीन जैसे ढेर सारे उत्पाद इस पोर्टल के जरिये उपलब्ध कराए जाते हैं.
इस समझौते पर इफको के प्रबंध निदेशक डॉ उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि "इफको और एसबीआई भारत की दो पुरानी व्यावसायिक संस्थाएं हैं. इन दोनों संस्थाओं के नाम में 'आई' अक्षर है जो इंडिया को दर्शाता है. यह हमें अक्षर और भावना दोनों से जोड़ता है. उन्होंने यह भी कहा कि "इफको पिछले 50 सालों से भारतीय किसानों की सेवा कर रही है.
इफको बाजार www.iffcobazar.in एक ऐसा प्लेटफार्म है जिसके जरिए किसान डिजिटल माध्यम से जुड़ सकेंगे. भारतीय किसानों की आय दोगुनी करने के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के सपने को साकार करना हमारा लक्ष्य है और इसके लिए हमें डिजिटल माध्यम को महत्व देते हुए किसान केंद्रित दृष्टिकोण अपनाना होगा. इस पोर्टल के माध्यम से किसान बेहतरीन गुणवत्ता वाले सब्सिडीरहित उर्वरक के साथ-साथ अन्य कृषि उत्पाद भी मंगा सकते हैं. यही नहीं, हेल्पलाइन और किसान फोरम के के जरिए वे अपने प्रश्नों के उत्तर भी पा सकते हैं.
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इसको के marketing director योगेंद्र कुमार ने इस अवसर पर कहा कि "किसानों के लिए वित्त और उर्वरक दोनों बहुत महत्वपूर्ण हैं. उन्होंने यह भी कहा कि "इस साझेदारी से इफको बाजार को एसबीआई योनो के उन तीन करोड़ पंजीकृत उपभोक्ताओं तक पहुंच बनाने में मदद मिलेगी जिनमें से अधिकांश किसान हैं.