ICICI Bank Loan scam: केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने सोमवार को वीडियोकॉन समूह के अध्यक्ष वेणुगोपाल धूत (Videocon Group Chairman Venugopal Dhoot) को आईसीआईसीआई बैंक लोन घोटाला (ICICI Bank Loan scam)मामले में गिरफ्तार किया है. केंद्रीय एजेंसी ने पिछले हफ्ते शुक्रवार को आईसीआईसीआई बैंक की पूर्व सीईओ और प्रबंध निदेशक चंदा कोचर (Chanda Kochhar) और उनके पति दीपक कोचर (Deepak Kochhar) को गिरफ्तार किया था. चंदा कोचर ने 2018 में टॉप पोजिशन से इस्तीफा दे दिया था. खबर के मुताबिक, सीबीआई ने आरोप लगाया है कि आईसीआईसीआई बैंक ने वेणुगोपाल धूत द्वारा प्रमोटेड वीडियोकॉन समूह की कंपनियों को बैंकिंग विनियमन अधिनियम, आरबीआई के दिशानिर्देशों और बैंक की क्रेडिट नीति का उल्लंघन करते हुए 3,250 करोड़ रुपये की लोन सुविधाएं मंजूर कीं.

मुंबई से किए गए गिरफ्तार Venugopal Dhoot

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सीबीआई के अधिकारियों ने बताया कि आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) की पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) और प्रबंध निदेशक (एमडी) चंदा कोचर और उनके पति दीपक कोचर को सीबीआई द्वारा हिरासत में लिए जाने के करीब तीन दिन बाद धूत (Videocon Group Chairman Venugopal Dhoot) को मुंबई से गिरफ्तार किया गया.  भाषा की खबर के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि सीबीआई ने कोचर दंपति और धूत के अलावा दीपक कोचर द्वारा संचालित नूपावर रिन्यूएबल्स (एनआरएल), सुप्रीम एनर्जी, वीडियोकॉन इंटरनेशनल इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड और वीडियोकॉन इंडस्ट्रीज लिमिटेड को भारतीय दंड संहिता की धाराओं और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 2019 के तहत दर्ज प्राथमिकी में आरोपी बनाया है.

नूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ का निवेश 

जांच एजेंसी (CBI) की तरफ से किए एफआईआर के मुताबिक, इस मंजूरी के एवज में धूत (Videocon Group Chairman Venugopal Dhoot) ने सुप्रीम एनर्जी प्राइवेट लिमिटेड (एसईपीएल) के माध्यम से नूपावर रिन्यूएबल्स में 64 करोड़ रुपये का निवेश किया और 2010 से 2012 के बीच हेरफेर करके पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट को एसईपीएल स्थानांतरित की. पिनेकल एनर्जी ट्रस्ट और एनआरएल का प्रबंधन दीपक कोचर के ही पास था.

गलत तरीके से 6 लोन मंजूर किए

सीबीआई ने आरोप लगाया है कि जब चंदा ने आईसीआईसीआई बैंक (ICICI Bank) का कार्यभार संभाला तो वीडियोकॉन की अलग-अलग कंपनियों को गलत तरीके से 6 लोन मंजूर किए गए.  फेडरल एजेंसी ने आगे आरोप लगाया है कि उसने वीडियोकॉन ग्रुप (Videocon group) को लोन स्वीकृत करने के लिए अन्य समितियों को प्रभावित किया. केंद्रीय जांच एजेंसी ने 2009 और 2011 के बीच वीडियोकॉन ग्रुप को बैंक द्वारा मंजूर किए गए लोन में धोखाधड़ी और अनियमितताओं का आरोप लगाया, जब कोचर बैंक का नेतृत्व कर रही थीं. 

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