अमेरिकी रिसर्च और निवेश कंपनी हिंडनबर्ग ने अपनी रिपोर्ट में सेबी चीफ माधबी पुरी बुच और उनके पति धवल बुच पर कई आरोप लगाए हैं. इस रिपोर्ट में हिंडनबर्ग ने संदेह जताया है कि अदाणी ग्रुप के खिलाफ कार्रवाई करने में बाजार नियामक की अनिच्छा का कारण सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच और उनके पति की अदाणी समूह से जुड़े विदेशी कोष में हिस्सेदारी हो सकती है, जिसके बाद काफी खलबली मची है. हालांकि, सेबी चीफ और उनके पति इस मामले में बयान जारी कर आरोपों का खंडन कर चुके हैं. अब इस मामले में देश के पूर्व वित्त सचिव सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा है कि सेबी चीफ को इन आरोपों के बाद इस्तीफा दे देना चाहिए.

पूर्व वित्त सचिव ने कहा- 'नैतिकता के आधार पर सेबी प्रमुख को देना चाहिए इस्तीफा' 

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Zee Business के शो India 360 में पूर्व वित्त सचिव एस.सी.गर्ग ने कहा कि, 'सेबी प्रमुख को नैतिकता और कानून दोनों आधार पर इस्तीफा देना चाहिए क्योंकि सेबी पर जो आरोप लगाए हैं, वह बाजार नियामक और माधबी पुरी बुच की प्रतिष्ठा के लिए ये ठीक नहीं है. साथ ही सरकार को इस मामले में गंभीरता से जांच करनी चाहिए. क्या सरकार के कहने पर जांच धीमी की गई, इस पर भी लोगों को आशंका हो सकती है. एक तरफ कहते हैं कि जांच धीमी हुई क्योंकि विदेशों से जानकारी नहीं मिली. दूसरे तरफ खुद की ही जानकारी नहीं बता रहे हैं तो इससे सवाल खड़े होते हैं.'

अदानी ग्रुप के खिलाफ लगे आरोपों पर सरकार को बनानी चाहिए नई कमेटी

बकौल पूर्व वित्त सचिव, ' अदानी ग्रुप के खिलाफ जो 24 आरोप लगे हैं, उस पर सरकार को नई कमेटी बनानी चाहिए, जिसमें जज हों,अच्छी छवि वाले पूर्व सेबी के लोग हों, मार्केट के लोग हों. वो लोग अदानी के केस की जांच करें. क्योंकि अब सेबी की जांच पर कैसे भरोसा किया जाए? मैं साल 2017 में सेक्रेटरी होने के नाते खुद ही सेबी के बोर्ड में था, उस वक्त माधबी बुच सेबी की मेंबर थी. मुझे नहीं याद कि माधबी पुरी बुच या किसी और बोर्ड मेंबर का डिस्क्लोजर बोर्ड के सामने रखा गया हो. ऐसी स्थिति में बोर्ड को आज की तारीख में क्या पता है और उन्होंने क्या डिस्क्लोजर बोर्ड के सामने रखे हैं, मुझे विश्वास नहीं होता कि बोर्ड को पूरी जानकारी है.'  

सरकार की जिम्मेदारी, सेबी चीफ की विश्वसनीयता और स्वतंत्रता पर न हो संदेह 

पूर्व वित्त सचिव के मुताबिक, 'वित्त मंत्री और भारत सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना चाहिए. केवल ये कह देना कि सेबी चीफ ने अपनी सफाई दे दी है और सरकार को और कुछ नहीं कहना ये दो बड़े संदेह पैदा करता है कि जांच जो धीमे हुई है या पूरी नहीं हुई है उसमें क्या सरकार की तरफ से कोई बात कही गई है. ये सभी सवाल उठ सकते हैं. सरकार की पूरी जिम्मेदारी है कि सेबी चीफ की विश्वसनीयता और स्वतंत्रता के बारे में किसी भी तरह का संदेह नहीं होना चाहिए.' सुभाष चंद्र गर्ग ने कहा,  कोड ऑफ कंडक्ट के हिसाब से फुल टाइम मेंबर हैं तो भला कोई और जिम्मेदारी या आमदनी कैसे ली जा सकती है?