Himachal Pradesh Election 2022 Voting: हिमाचल में सत्‍ता किसके हाथ आएगी, इसका भविष्‍य आज ईवीएम में कैद हो जाएगा. हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव (Himachal Pradesh Assembly Election 2022) के लिए वोटिंग शुरु हो चुकी है. 1982 के बाद से हिमाचल में एक ट्रेंड रहा है कि वहां सत्‍ता का सिंहासन बारी-बारी से बदलता रहा है. हालांकि बीजेपी इस रिवाज को तोड़ने के लिए पूरी मशक्‍कत कर रही है, लेकिन इसमें कितना कामयाब हो पाती है, ये तो चुनावी परिणाम आने के बाद ही पता चल पाएगा.

COMMERCIAL BREAK
SCROLL TO CONTINUE READING

इन तीन जिलों की अहम भूमिका

हिमाचल में कांगड़ा, मंडी और शिमला, ये तीन जिले ऐसे हैं, जो सत्‍ता का रुख तय करने में बड़ी भूमिका निभाते हैं. हिमाचल के कांगड़ा में सबसे ज्यादा 15 सीटें हैं, वहीं मंडी में 10 और शिमला में आठ सीटें हैं. साल 2017 में इन तीनों बड़े जिलों में से कांगड़ा और मंडी में बीजेपी को एक तरफा जीत मिली थी, वहीं शिमला में कांग्रेस आगे रही थी. इस बार कहां पर किसका पलड़ा भारी होगा, ये खुलासा 8 दिसंबर को होगा.

23 सीटों का भी खास योगदान

हिमाचल का एक जुमला ये भी है कि यहां आने वाली सत्‍ता तय करने में 23 सीटों का खास योगदान है. इनमें लाहौल, स्पीति, भरमौर, बैजनाथ जैसी सीटें शामिल हैं. ज्‍यादातर देखा गया है कि इन 23 सीटों पर हर साल विधायक बदल जाते हैं. बारी-बारी से इन पर भाजपा और कांग्रेस को समय-समय पर शासन करने का मौका मिलता रहा है. इनमें से अधिकतर सीटें एससी और एसटी समुदाय वाली सीटे हैं. ज्‍यादातर जानकारों का मानना है कि इन 23 सीटों से सत्‍ता का रास्‍ता तय होता है. इस बार भी भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इन सीटों पर जीत की उम्‍मीद लगाए हुए हैं.

Zee Business Hindi Live TV यहां देखें

1985 से बारी-बारी से हो रहा सत्‍ता परिवर्तन

साल 1985 से हिमाचल प्रदेश में सत्‍ता बदलने का एक ट्रेंड सा बन गया है. 1985 में कांग्रेस के पास सत्‍ता थी, लेकिन साल 1990 के विधानसभा चुनाव हुए तो बीजेपी ने 46 सीटें जीतकर सत्ता हासिल कर ली. साल 1993 में एक बार फिर से विधानसभा चुनाव हुए और फिर से इस बार कांग्रेस की सत्ता में वापसी हुई. उस समय वीरभद्र सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया. पांच साल के बाद 1998 में विधानसभा चुनाव हुए बीजेपी ने कांग्रेस को मात देकर सत्ता में वापसी की और प्रेम कुमार धूमल मुख्यमंत्री बने. इसके बाद 2003 में एक बार फिर से कांग्रेस ने बाजी पलट कर सरकार बनाई और एक बार फिर से वीरभद्र सिंह मुख्‍यमंत्री बने. इसके बाद 2007 में 41 सीटों के साथ भाजपा ने जीत हासिल की और प्रेम कुमार धूमल एक बार फिर से मुख्‍यमंत्री बने. साल 2012 में कांग्रेस सत्‍ता पर काबिज हुई और वीरभद्र सिंह को इस बार भी मुख्‍यमंत्री बनाया गया. इसके बाद में भी सत्‍ता परिवर्तन का सिलसिला कायम रहा और भाजपा ने जीत हासिल की. इस बार बीजेपी ने जयराम ठाकुर को मुख्यमंत्री बनाया.