Cardiopulmonary resuscitation: कोरोना के बाद से लोगों में हार्ट अटैक के ज्यादा मामले देखने को मिल रहे हैं. सही समय पर लोगों को इलाज न मिलने से उनकी मौत हो जा रही है. इसी को देखते हुए केंद्र सरकार कार्डियक अरेस्ट यानी दिल का दौरा पड़ने जैसी गंभीर बीमारी से लोगों को बचाने के लिए आज 10 लाख लोगों को CPR की ट्रेनिंग दे रही है.

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इस टेक्निक से बिना समय गवाएं लोगों की  जान बचाई जा सकती है. स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय बुधवार को एक साथ 10 लाख लोगों को इस CPR टेक्नीक की ट्रेनिंग दी. आज सुबह साढ़े 9 बजे से लोगों को सीपीआर (Cardiopulmonary Resuscitation) तकनीक की ट्रेनिंग दी जा रही है. केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मांडविया स्वयं इस ट्रेनिंग प्रोग्राम में शामिल हुए.

10 लाख से ज़्यादा लोगों को सिखाने का कार्यक्रम

स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने भी  CPR की टेक्निक सीखी. देशभर में लगातार बढ़ रहे हार्ट अटैक और Cardiac Arrest के मामलों के बाद जान बचाने के लिए तत्काल CPR दिए जाएं तो बच सकती है. इसी जागरुकता के लिए आज देशभर में 10 लाख से अधिक लोगों को इसकी ट्रेनिंग दी जा रही है.

सीपीआर क्यों जरुरी है?

सीपीआर - या कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन - एक इमरजेंसी जीवन रक्षक प्रोसेस है. इसका उपयोग तब किया जाता है जब दिल धड़कना बंद कर देता है. कार्डियक अरेस्ट के बाद तत्काल सीपीआर से बचने की संभावना दोगुनी या तिगुनी हो सकती है. जब किसी पीड़ित व्यक्ति को सांस लेने में दिक्कत हो या सांस न ले पा रहा हो या किसी हालत में बेहोश हो जाए तो सीपीआर से उसकी जान बचाई जा सकती है. किसी व्यक्ति को हार्ट अटैक आने पर सबसे पहले सीपीआर दिया जाता है. इसके अलावा अगर किसी को बिजली का झटका लग जाए, पानी में डूब जाए या दम घुटने लगे तो सीपीआर का इस्तेमाल कर सकते हैं. इससे उस पीड़ित की जान बचाने की संभावना काफी बढ़ जाती है. सीपीआर प्रोसेस में मरीज की छाती को दबाना और मुंह से सांस देना होता है. इस प्रोसेस को माउथ टू माउथ रेस्पिरेशन कहते हैं. इसके लिए उस पीड़ित को पहले किसी ठोस जगह पर लिटाया जाता है. इसके बाद  माउथ टु माउथ रेस्पिरेशन दिया जाता है.