Health Ministry Meeting: स्वास्थ्य मंत्रालय ने जेनेरिक दवाओं पर बैठक बुलाई है. इस बैठक में National Medical Commission से बातचीत होगी. नेशनल मेडिकल कमीशन के गैजेट नोटिफिकेशन में रजिस्टर्ड मेडिकल प्रैक्टिशनर यानी RMP के लिए कई नियम कानून और गाइडलाइंस लाए गए हैं. कई डॉक्टर इस निर्देश का कर रहे विरोध नेशनल मेडिकल कमीशन ने हाल ही में एक गैजेट नोटिफिकेशन जारी कर बदनाम हो रहे डॉक्टरी पेशे पर नकेल कसने की कोशिश की है. इस नोटिफिकेशन में डॉक्टरों को केवल जेनेरिक दवाएं लिखने के निर्देश दिए गए हैं. हालांकि इस तरह के निर्देशों का कई डॉक्टर और इंडियन मेडिकल एसोसिएशन समेत कई संस्थाएं कड़ा विरोध कर रही हैं. जानें क्या है डॉक्टरों को लेकर नई गाइडलाइंस

  • किसी भी टेस्ट के लिए किसी डायग्नोस्टिक लैब से किसी तरह के रिबेट या डिस्काउंट नहीं ले सकता.
  • कोई भी डॉक्टर कमीशन या कट नहीं ले सकता.
  • डॉक्टर किसी तरह के प्रोडक्ट को अपनी ओर से सर्टिफाई नहीं करेंगे.
  • किसी तरह की endorsement भी नहीं करेंगे.
  • किसी प्रॉडक्ट या सामान को मरीज को लेने की सलाह नहीं दे सकेंगे.
  • प्राइवेट प्रैक्टिस कर रहे डॉक्टर को तीन साल तक मरीज का हेल्थ रिकॉर्ड रखना ज़रुरी होगा.
  • अगर कोई दूसरा डॉक्टर गलत या अनैतिक काम कर रहा है तो डॉक्टरों को बिना डरे बताना होगा.
  • अगर डॉक्टर मरीज को दिए गए समय पर नहीं आ पा रहा है तो मरीज को इस बात की जानकारी देनी होगी.
  • अगर मरीज दुर्व्यवहार करे, गाली दे या मारपीट करने लगे तो डॉक्टर उसका इलाज करने से मना कर सकता है और उसकी शिकायत भी कर सकता है.
  • डॉक्टर या उसके परिवार के लोग फार्मा कंपनी, मेडिकल डिवाइस कंपनी, अस्पताल या उनके प्रतिनिधि से किसी तरह का गिफ्ट, ट्रैवल, होटल जैसी सेवाएं, कैश या किसी तरह की फीस, मनोरंजन जैसे ऑफर नहीं ले सकते.
  • डॉक्टर ऐसे किसी सेमिनार में भी नहीं जा सकते जो किसी फार्मा कंपनी ने स्पॉन्सर किया हो.

सोशल मीडिया और डॉक्टर डॉक्टर सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर केवल तथ्यात्मक जानकारी ही पोस्ट कर सकते हैं. गाइडलाइंस में यह भी कहा गया कि मरीजों के नाम, फोटो या कोई और  जानकारी, उनकी बीमारी या उनके टेस्ट रिकॉर्ड पोस्ट नहीं कर सकते. सोशल मीडिया पर डॉक्टर लाइक्स या फॉलोअर खरीदने का काम नहीं कर सकते. कई लोग अपनी सोशल मीडिया की पहुंच मजबूत करने के लिए ऐसा करते हैं. हो सकती है डॉक्टर पर  कार्रवाई गाइडलाइंस में ये भी कहा गया कि अगर कोई डॉक्टर इस गाइडलाइन का पालन नहीं करता है तो उसपर कार्रवाई हो सकती है. जांच के आधार पर कमीशन चाहे तो शिकायत को खारिज कर सकती है. इसके साथ ही डॉक्टर को वॉर्निंग दे सकती है. डॉक्टर की काउंसलिंग की जा सकती है या डॉक्टर पर पेनल्टी लगा सकती है. जिसमें डॉक्टर की प्रैक्टिस सस्पेंड करने से लेकर उसकी प्रैक्टिस बंद करने तक के प्रावधान हैं.