गुरुग्राम रैपिड मेट्रो को नहीं मिल रहा कोई चलाने वाला, इस वजह से है बंद होने के कगार पर
Rapid Metro: तीन साल में 1,450 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस मेट्रो की सेवा लोगों के लिए नवंबर 2013 में शुरू हुई थी. हालांकि गुरुग्राम के निवासियों के मुताबिक, मेट्रो से सफर करने वालों की तादाद में कमी, खर्चीली सेवा, गलत लोकेशन के कारण मेट्रो का परिचालन बंद होने के कगार पर है.
गुरुग्राम रैपिड मेट्रो को चलाना जारी रखने की डेडलाइन 17 सितंबर को समाप्त होने से पहले इस बात की अटकलें तेज हो गई हैं कि क्या हुडा इसे चलाएगा, क्योंकि रैपिड मेट्रो रेल गुड़गांव लिमिटेड (आरएमजीएल) ने आगे इसका परिचालन करने से अपनी असमर्थता जाहिर की है. रैपिड मेट्रो को आईएलएंडएफएस इन्फ्रास्ट्रक्चर ने दो चरणों में किया था. पहले चरण में कंपनी ने 5.1 किलोमीटर एलिवेटेड ट्रैक का निर्माण किया था, जो एनएच-8 स्थित शंकर चौक से सिकंदरपुर डीएमआरसी स्टेशन को जोड़ता है और इसमें छह स्टेशन हैं. इसके दूसरे चरण को 31 मार्च, 2017 को खोला गया.
तीन साल में 1,450 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित इस मेट्रो की सेवा लोगों के लिए नवंबर 2013 में शुरू हुई थी. हालांकि गुरुग्राम के निवासियों के मुताबिक, मेट्रो से सफर करने वालों की तादाद में कमी, खर्चीली सेवा, गलत लोकेशन के कारण मेट्रो का परिचालन बंद होने के कगार पर है.
आईएलएंडएफएस के दो स्पेशल परपस व्हीकल्स (एसपीवी)- रैपिड मेट्रो रेल गुड़गांव लिमिटेड (आरएमजीएल) और रैपिड मेट्रो रेल गुड़गांव साउथ लिमिटेड द्वारा क्रमश: 2013 और 2017 से गुरुग्राम में रैपिड मेट्रो का परिचालन किया जा रहा है और दोनों ने प्रदेश सरकार को करार तोड़ने का आरोप लगाते हुए सेवा बंद करने का नोटिस भेजा है.
(फोटो साभार - गुरुग्राम रैपिड मेट्रो वेबसाइट)
अब हरियाणा अर्बन डेवलपमेंट अथॉरिटी (हूडा) पर न सिर्फ इसे चलाने की जिम्मेदारी है, बल्कि यह भी तय करना है कि कौन-सा करार तोड़ा गया है. बताया जा रहा है कि लाइन को एक्सप्रेसवे से होकर पुराने गुरुग्राम तक ले जाना चाहिए, जहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट बेहद जरूरी है. हुडा को मेट्रो में यात्रियों की तादाद बढ़ाने के तौर-तरीकों और इलाकों में लाइन का विस्तार करने के संबंध में अध्ययन करना होगा. इसे दिल्ली मेट्रो से जोड़ना फायदेमंद साबित हो सकता है. इससे जुड़ा मामला अभी कोर्ट में है.