गुजरात के किसान ने तैयार किया सोलर ट्रैप, कीटाणुओं से मुक्ति और केमिकल का खर्चा हुआ कम
सोलर लैंप में हजारों कीटाणु लैंप की रोशनी में इकट्ठा होने शुरू हो जाते हैं और उसके नीचे रखे तेल के पानी में गिर-गिर कर मर जाते हैं.
राजेश के इस अविष्कार को गुजरात के हार्टिकल्चर विभाग ने भी काफी पसंद किया है.
राजेश के इस अविष्कार को गुजरात के हार्टिकल्चर विभाग ने भी काफी पसंद किया है.
अविष्कार की वैसे तो कोई परिभाषा नहीं होती है, लेकिन इतना जरूर कह सकते हैं कि एक व्यक्ति की मेहनत से लाखों लोगों को अगर फायदा हो तो उस चीज़ को अविष्कार कह सकते हैं. गुजरात के एक किसान ने एक ऐसा ही सोलार ट्रैप बनाया है जिससे खेत में फसल को नुकसान पहुंचाने वाले कीटाणु मर जाते हैं.
फसल को कीटाणु से बचाने के लिए उस पर दवाई छिडकनी पड़ती है, जिससे फसल भी खराब होती है और उसकी क्वालिटी भी. लेकिन अब इस अनोखे सोलार ट्रैप से दवा का खर्च भी बचेगा और कीटाणु से भी मुक्ति.
गुजरात के गिर सोमनाथ जिले के गिरगढड़ा गांव के राजेश पाघडाल पिछले 15 वर्षों से खेती कर रहे हैं वह सिर्फ 12वीं तक पढ़े हैं. खेती से जुड़े रहने से उनका यह पता था कि कीटाणु, जो की हर खेत में मौजूद होते हैं वे फसल को बर्बाद कर देते हैं. इनकी रोकथाम के लिए कीटनाशकों का इस्तेमाल करना होता है, जो महंगे होने के साथ-साथ खेत की मिट्टी, हवा, पानी और फसल को दूषित करते हैं.
TRENDING NOW
FD पर Tax नहीं लगने देते हैं ये 2 फॉर्म! निवेश किया है तो समझ लें इनको कब और कैसे करते हैं इस्तेमाल
8th Pay Commission: केंद्रीय कर्मचारियों के लिए ताजा अपडेट, खुद सरकार की तरफ से आया ये पैगाम! जानिए क्या मिला इशारा
खुद ही तैयार किया सोलर ट्रैप
इस विषय पर काफी सोच-विचार करने के बाद राजेश ने एक देसी नुस्खा तैयार किया. उन्होंने बाजार से एक सोलार प्लेट और एक बैटरी खरीदी. कीटाणु को आकर्षित करने के लिए अल्ट्रा वायोलेट एलईडी लैंप ख़रीदा. कीटाणु इस प्रकाश की और आकर्षित होकर इस लैंप पर बैठते हैं और सीधे नीचे गिरते हैं. लैंप के नीचे केरोसिन या जला हुआ डीज़ल वाला पानी होता है. कीटाणु इसमें गिरते ही मर जाते हैं.
Gujarat farmer makes solar powered insect trap https://t.co/FObP6l8tuT
— श्रीराम शर्मा (@ram_joshi78) 8 दिसंबर 2018
उन्होंने अपने कपास के खेत में यह सोलर लैंप लगाया हुआ है. जैसे ही रात होती है लैंप अपनेआप जल उठता है और कुछ ही समय में हजारों कीटाणु लैंप की रोशनी में इकट्ठा होने शुरू हो जाते हैं और उसके नीचे रखे तेल के पानी में गिर-गिर कर मर जाते हैं. जो कीटाणु खेत में कपास को खाने के लिए आते हैं वे इस लैंप की लाइट में अपनी जान गंवा देते हैं.
राजेश बताते हैं कि इस लैंप को तैयार करने में उनकी 3000 रुपये की लागत आई. वह चाहते हैं कि अब तकनीक का इस्तेमाल अन्य किसान भी करें तो खेतों से कीटाणुओं की समस्या से काफी हद तक निजात मिल सकती है.
इको फ्रेंडली तकनीक
राजेश ने बताया कि यह तकनीक पूरी तरह से इको फ्रेंडली है. इससे फसल पर केमिकलों का छिड़काव 20 फीसदी तक कम हो जाता है और किसान की फसल की क्वालिटी अच्छी बनी रहती है. वह बताते हैं कि दो एकड़ खेत के लिए एक सोलर ट्रेप काफी होता है और दिन में चार्ज होने के बाद यह 5 घंटे तक चलता है. 5 साल तक इस तकनीक पर अलग से कोई खर्चा नहीं होता है.
राजेश के इस अविष्कार को गुजरात के हार्टिकल्चर विभाग ने भी काफी पसंद किया है. राज्य हार्टिकल्चर विभाग के निदेशक पीएम वघासिया ने बताया कि अगर इस ट्रैप का ज्यादा से ज्यादा किसान इस्तेमाल करें तो खेती में होने वाले केमिकलों के इस्तेमाल को काफी हद तक कम किया जा सकता है.
हालांकि यह तकनीक देश के कई इलाकों में काफी समय से इस्तेमाल हो रही है. लेकिन राजेश ने खुद इसे अपनी जरूरत और मौजूद संसाधनों के हिसाब से तैयार किया है, इसलिए इसकी चर्चा हो रही है.
(गुजरात से केतन जोशी की रिपोर्ट)
09:35 AM IST