GST on Footwear: फुटवियर इंडस्ट्री ने सरकार से गुहार लगाई है कि 31 दिसंबर, 2021 के पहले की ही तरह 1000 रुपये से कम कीमत वाले फुटवियर पर जीएसटी की दरों को 5 फीसदी तक ही सीमित रखा जाए. इसके लिए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (CAIT) और इंडियन फुटवियर एसोसिएशन (IFA) ने आज केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) से निवेदन किया. इंडस्ट्री ने कहा कि 1000 रुपये से अधिक कीमत वाले फुटवियर पर GST दरों को 12 फीसदी रखा जा सकता है.

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इसके साथ ही CAIT और IFA ने केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल (Piyush Goyal) से कहा कि वे 1000 रुपये से अधिक कीमत वाले फुटवियर पर ही BIS स्टैंडर्ड को लागू करें.

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देश की बड़ी आबादी को होगा फायदा

दोनों संगठनों ने अपनी मांगों को लेकर तर्क दिया दि देश की लगभग 85 फीसदी आबादी 1000 रुपये कम कीमत के फुटवियर का इस्तेमाल करती है. इसलिए जीएसटी दरों (GST Slabs) में की गई बढ़त की मार सीधे 85 फीसदी लोगों पर पड़ेगी. वहीं, 90% फुटवियर का उत्पादन बड़े पैमाने पर छोटे और गरीब लोगों द्वारा किया जाता है या घर में चल रहे उद्योग एवं कुटीर उद्योग में किया जाता है ,इस वजह से  भारत में फुटवियर निर्माण के बड़े हिस्से पर बीआईएस मानकों (BIS Standard) का पालन करना बेहद मुश्किल काम है.

राज्यों के वित्त मंत्रियों को भेजा ज्ञापन

इन मांगों को लेकर CAIT और IFA ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण (Nirmala Sitharaman) के अलावा सभी राज्यों के वित्त मंत्रियों को भी ज्ञापन भेजा है कि वे फुटवियर पर जीएसटी टैक्स स्लैब को 5 फीसदी तक ही रखें. ये कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) के आत्मनिर्भर भारत और मेक इन इंडिया को मजबूत बनाएगा.

कैट ने बताया कि भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा फुटवियर निर्माता (Footwear producer) है. पूरे भारत में फैली दस हजार से अधिक निर्माण इकाइयां और लगभग 1.5 लाख फुटवियर व्यापारी 30 लाख से अधिक लोगों को रोजगार दे रहे हैं. इनमें ज्यादातर फुटवियर बेहद सस्ते और पैरों की सुरक्षा के लिए बनाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि मकान और कपड़ें की तरह फुटवियर भी एक आवश्यक वस्तु है जिसके बिना कोई घर से बाहर नहीं निकल सकता है इसमें बड़ी आबादी घर में काम करने वाली महिलाएं, मजदूर, छात्र एवं आर्थिक रूप से कमजोर और निम्न वर्ग के लोग हैं.

60 फीसदी आबादी 250 रुपये से कम के फुटवियर का इस्तेमाल करते हैं

देश की 60 फीसदी आबादी 30 रुपये से लेकर 250 रुपये की कीमत के फुटवियर पहनती है. वहीं लगभग 15% आबादी रुपये 250 से रुपये 500 की कीमत के फुटवियर का इस्तेमाल करती है और 10% लोग 500 रुपये से 1000 रुपये तक के जूते का उपयोग करते हैं. शेष 15% लोग बड़ी फुटवियर कंपनियों अथवा आयातित ब्रांडों द्वारा निर्मित अच्छी गुणवत्ता वाली चप्पल, सैंडल या जूते खरीदते हैं.