वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने मंगलवार को कहा कि सरकार देश की अर्थव्यवस्था में सेवा क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाने के लिये शिक्षा क्षेत्र की वृद्धि को बढ़ावा देने को लेकर काम करेगी. उन्होंने कहा कि देश के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) में सेवा क्षेत्र का योगदान फिलहाल करीब दोतिहाई है.

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उच्च शिक्षा पर आयोजित सम्मेलन में प्रभु ने कहा, ‘हम अर्थव्यवस्था में क्षेत्र की हिस्सेदारी बढ़ाना चाहते हैं और इसमें शिक्षा महत्वपूर्ण क्षेत्र है. हम इसे बढ़ावा देंगे.’ उन्होंने कहा कि सरकार इस संदर्भ में विभिन्न विश्वविद्यालयों और संस्थानों के साथ मिलकर काम कर रही है.

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 12 प्रमुख सेवा क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने का निर्णय किया था. साथ ही नोडल मंत्रालयों तथा विभागों को अलग से बनाये गये 5,000 करोड़ रुपये के कोष के तहत क्षेत्र केंद्रित योजनाएं बनाने को कहा था. 12 प्रमुख सेवा क्षेत्रों में आईटी, पर्यटन तथा होटल, परिवहन, एकाउंटिंग, दृश्य अनुश्रवण, विधि, शिक्षा तथा पर्यावरण शामिल हैं.

केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि शिक्षण संस्थानों को उन उभरती चुनौतियों को दिमाग में रखना है जिसका सामना उद्योग कर रहा है और कृत्रिम मेधा, रोबोटिक्स तथा बिग डेटा जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी पेश करनी चाहिए.

इसी कार्यक्रम में वाणिज्य विभाग में अतिरिक्त सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि उद्योग और विश्वविद्यालयों के बीच एकीकरण और गठजोड़ बढ़ाने की जरूरत है. 

उच्च शिक्षा सचिव आर सुब्रमणियम ने कहा कि गुणवत्ता, शोध, रोजगार काबिलियत तथा संस्थानों का अंतरराष्ट्रीयकरण जैसे मुद्दों पर ध्यान देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि उच्च शिक्षण संस्थानों के लिए शोध महत्वपूर्ण है और इसके लिये निवेश और कोष आकर्षित करने की जरूरत है.