Wheat Procurement: सरकार ने दी किसानों को बड़ी राहत, 31 मई तक बढ़ी गेहूं खरीद की प्रक्रिया
Wheat Procurement News: किसानों को परेशानियों से बचाने के लिए सरकार की तरफ से यह कदम उठाया गया है. सरकार ने इसके साथ ही भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को केंद्रीय पूल के तहत गेहूं की खरीद जारी रखने का भी निर्देश दिया है.
Wheat Procurement News: केंद्र सरकार ने गेहूं की खरीद की तारीख 31 मई तक बढ़ा दिया है. केंद्र सरकार के इस फैसले से देश के किसानों को बड़ी राहत मिली है. किसानों को परेशानियों से बचाने के लिए सरकार की तरफ से यह कदम उठाया गया है. सरकार ने इसके साथ ही भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को केंद्रीय पूल के तहत गेहूं की खरीद जारी रखने का भी निर्देश दिया है.
सरकार द्वारा समयसीमा बढ़ाए जाने से किसानों को लाभ होने की उम्मीद है. सरकार ने खरीद प्रक्रिया को जारी रखने का फैसला राज्य सरकारों और केंद्र शासित प्रदेशों के अनुरोधों को देखते हुए लिया है. वहीं मध्य प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, गुजरात, बिहार और राजस्थान के राज्यों में रबी विपणन सीजन 2022-23 में केंद्रीय पूल के तहत गेहूं की खरीद सुचारू रूप से चल रही है.
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31 मई 2022 तक बढ़ी गेहूं खरीद की डेट
इस मामले पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल ने ट्वीट कर कहा कि किसी भी गेहूं किसान को असुविधा न हो, इसलिए मोदी सरकार ने गेहूं खरीद सीजन को 31 मई 2022 तक बढ़ा दिया है. सरकार के इस फैसले से किसानों को राहत मिलने की उम्मीद है. बता दें कि केंद्र सरकार ने अंतरराष्ट्रीय और घरेलू स्तर पर लगातार बढ़ती गेहूं की कीमतों को संभालने के लिए शनिवार को गेहूं के निर्यात पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी थी.
खाद्य और वितरण मंत्रालय ने दिया यह बयान
खाद्य और वितरण मंत्रालय ने रविवार को एक बयान में कहा कि वर्तमान भू-राजनीतिक स्थिति और बाजार मूल्य भी केंद्रीय पूल के तहत मौजूदा रबी विपणन सीजन 2022-23 के दौरान गेहूं की अनुमानित खरीद को प्रभावित कर सकते हैं. पिछले आरएमएस 2021-22 के अनुरूप आगामी आरएमएस 2022-23 के दौरान केंद्रीय पूल के तहत गेहूं की खरीद कम रही है, जिसका मुख्य कारण एमएसपी की तुलना में अधिक बाजार मूल्य है, जहां किसान निजी व्यापारियों को गेहूं बेच रहे हैं.
पंजाब, हरियाणा से गेहूं की खरीद के नियमों में ढील
केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि सिकुड़े और टूटे दानों के साथ गेहूं की उचित औसत गुणवत्ता (एफएक्यू) में दामों में बिना किसी कटौती के 18 फीसदी तक की छूट दी गई है. नोडल एजेंसी भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को चंडीगढ़ समेत पंजाब और हरियाणा से गुणवत्ता नियमों में छूट के साथ गेहूं की खरीद की मंजूरी दी गई है. मंत्रालय ने कहा कि इस निर्णय से किसानों की कठिनाई कम होगी और उन्हें दबाव में बिक्री नहीं करनी पड़ेगी.
जानें गेहूं निर्यात पर रोक लगाने की वजह
पिछले एक वर्ष में गेहूं और उसके आटे की खुदरा कीमतों में 14-20 प्रतिशत की वृद्धि होने के बाद खुदरा कीमतों को नियंत्रित करने के लिए सरकार ने गेहूं निर्यात पर प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी. यह फैसला गेहूं कीमत को नियंत्रित करने तथा पड़ोसी एवं कमजोर मुल्कों की खाद्यान्न आवश्यकताओं को पूरा करने में मदद कर सकता है. विदेशों से भारतीय गेहूं की बेहतर मांग के कारण वित्त वर्ष 2021-22 में भारत का गेहूं निर्यात 70 लाख टन के सर्वकालिक उच्च स्तर पर रहा, जिसका मूल्य 2.05 अरब डॉलर था. गेहूं के कुल निर्यात में से पिछले वित्त वर्ष में लगभग 50 प्रतिशत हिस्से का निर्यात बांग्लादेश को किया गया था.